Jan 20, 2018
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में कागजी सपने देखने में ग्वालियर का निकाय सबसे आगे है। इसी कड़ी में ग्वालियर नगर निगम ने अब स्मार्ट सिटी में शामिल शहर में ट्रैफिक व्यवस्था के लिए मोनो रेल का सपना देखा है। देश की आजादी से पहले यह रेल नैरोगेज ट्रैक पर पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का बेहतर साधन था। इसलिए निगम ने रेलवे से रेल लाइन का नक्शा और स्टेशनों की जानकारी रेलवे से मांगी है। निगम अब इस ट्रैक पर मोनो रेल दौड़ाने का सपना देख रहा है।
सूबे की सरकार शहरवासियों को सपने दिखाती रहती है। तीन साल पहले ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल की संभावनाएं तलाशी गईं। ग्वालियर शहर में इसके सर्वे के लिए एजेन्सी तय की गई। एजेन्सी ने होमवर्क किया। सरकार के यह प्रयास सुर्खियां बने। लेकिन एक बार फिर से ग्वालियर निगम ने मोनो रेल का सपना देखा है। क्योंकि वर्तमान में नैरोगेज ट्रेन को आगामी सालों में इसका संचालन शहर से बंद करना है, ऐसे में उस ट्रेक पर मोनो रेल दौड़ाने का सपना निगम देख रहा है।
शहर में बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था के लिए सारे विकल्प तलाशे जा रहे हैं। स्टेट टाइम में शहर में नैरोगेज ट्रैक था। रेलवे से हमने उसकी पूरी जानकारी मांगी है। यह केवल शुरुआती प्रयास है।
मौजूगदा समय में ग्वालियर से श्योपुर, सबलगढ़ तक नैरोगेज ट्रेन संचालित है। इस ट्रेन की शुरूआत के साथ ही शहर में मुरार, गोला का मंदिर, शिन्दे की छावनी, घोसीपुरा, जीवाजीगंज, महाराज बाड़ा, कम्पू सहित अन्य प्रमुख स्थानों तक नैरोगेज ट्रैक था।
आजादी के पहले इस ट्रैक पर ट्रेन चलती थी। मुरार, गोला का मंदिर पर तो अभी भी रेलवे स्टेशन के सबूत हैं। मुरार में तो रेलवे ने उन कमरों में रिजर्वेशन सेंटर खोला है। घोसीपुरा पर श्योपुर, सबलगढ़ जाने वाली नैरोगेज ट्रेन का अब भी स्टेशन है। लेकिन निगम के इस सपने को विपक्ष एक सिगुफा बता रहा है। जिससे निगम के लोग सिर्फ कमाई करेंगे।
ग्वालियर के नैरोगेज ट्रैक पर कब्जे हो चुके हैं। लेकिन निगम प्रशासन का मानना है कि रेलवे से पूरा नक्शा और जानकारी मिल जाती है, तो कुछ क्षेत्रों में मोनो रेल की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। अब रेलवे के पास यह नक्शा है या नहीं, यह बाद में ही पता चल सकेगा। निगम और रेलवे के बीच कागजी बातचीत शुरू हो गयी है। ऐसे में देखना होगा ग्वालियर में मोनो रेल मिलने का सपना सच होता है, या फिर मेट्रो ट्रेन की तरह ही, कागजी घोड़ा बन जाता है।