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विदिशाः जिला अस्पताल या नरक का द्वार, मरीजों को नसीब नहीं एक बिस्तर

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May 30, 2019

दीपेश शाह- विदिशा के जिला अस्पताल की तस्वीर मध्य प्रदेश की सरकार और स्वास्थ्य महकमे को हालकान करने के लिए काफी है। जहां एक पलंग पर दस दस मरीज एडमिट है। यहां मरीज लेट नहीं पा रहे हैं बल्कि बैठे-बैठे कई रातें गुजार रहे हैं। यहां पर वार्ड बॉय ड्रिप लगाने का काम करते हैं। सिविल सर्जन और नर्स भी स्वीकार करती हैं कि 300 बिस्तर का अस्पताल है और मरीजों की संख्या उससे दुगुनी से भी अधिक है और हम मजबूर हैं।

विदिशा जिला अस्पताल की यह तस्वीर स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं और सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। जहां बड़े दावे किए जाते हैं कि सरकार स्वास्थ्य के प्रति कितनी सचेत है। आइए, विदिशा के जिला अस्पताल की तस्वीर को देखें, जहां एक पलंग पर 10 मरीज भर्ती हैं। सीरियस मरीज भी यहां लेट नहीं सकते। बैठे-बैठे ही खून की बोतलें और लगवाने को मजबूर हैं क्योंकि इनके शरीर में आगे जीवन चलाने के लिए सांसे जरूरी हैं अब वह कैसे ही नसीब हो।

अस्पताल 300 बिस्तर का और मरीज दुगुने से भी अधिक 

अस्पताल के महिला वार्ड में भारी भीड़ मरीज खुद कह रहे हैं, हमें यहां इलाज करने में ऐसा लगता है कि हम किसी समारोह जैसे कार्यक्रम में आ गए हों। एक ही पलंग पर दस-दस मरीज को बिठा दिया जाता है जिसके कारण बहुत परेशानी होती है। कुछ मरीज फर्श पर लेटे दिख जायेगे, तो कुछ मरीज चल-चल कर ड्रिप लगवा रहे हैं। हमारे कैमरे में वह शॉट्स भी नजर आ रहे हैं, जहां वार्डबॉय डॉक्टर की तरह, नर्स की तरह, मरीजों को सफाई का काम छोड़कर ड्रिप लगा रहा है। जिनके हाथ में स्वास्थ्य प्रबंधन की जिम्मेदारी हैं, ऐसे सिविल सर्जन डॉ संजय खरे कहते हैं कि क्या करें अस्पताल 300 बिस्तर का है और उससे दुगना मरीज यहां आ रहे हैं, हम तो इलाज कर रहे हैं।

मरीजों की शिकायत कि डॉक्टर भी समय पर नहीं आते

मरीजों क कहना है कि यहां एक ही बेड पर 8 से 9 लोग रहते हैं और मरीज से मरीज सट कर बैठते हैं तो उनकी बीमारी भी हमें लगती है। डॉक्टर भी लेट आ रहे हैं। आज भी बहुत लेट आए हैं। शाम को भी यही स्थिति रहती है। ऐसा लगता है जैसे शादी में आए हों। भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है, ढंग से बैठने तक की जगह नहीं मिलती। डॉक्टर नर्स भी फ्री नहीं हैं। वह भी काम कर रही हैं इसलिए हम कर रहे हैं क्योंकि इन लोगों को कोई दिक्कत ना हो इसलिए।