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उज्जैनः मकान का कब्जा बैंक को दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाई में मचा हड़कंप

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Sep 29, 2019

अनिल बैरागी - दरअसल किशनपुरा मक्सी रोड स्थित एक मकान कुर्की होने के बाद खरीददार को माननीय हाईकोर्ट के आदेश पर कब्जा दिलाने के लिए बैंक के अधिकारी प्रशासन को लेकर पहुंचे लेकिन वहां रह रहे दयाराम गोमे का परिवार में मकान खाली करने से मना कर दिया। बावजूद पुलिस की मौजूदगी में जब बैंक कर्मचारियों ने जबरन खाली कराना चाहा तो दयाराम का परिवार आग बबूला हो उठा और छत पर चढ़कर पुलिसकर्मियों पर पथराव करने लगे। हालांकि मौके पर बैंक कर्मचारी किसी भी पुलिस अधिकारी को लेकर नहीं पहुंचे थे मसलन स्थिति बिगड़ गई और तनाव के बीच में आधे घंटे तक चलता रहा पथराव।

पुलिस पर पथराव, पुलिस ने किया लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़े

दयाराम गोमे बैंक के डिफाल्टर होने के कारण उसने मकान पड़ोस में ही रह रहे शंकरलाल गहलोत को बेच दिया था। जिसकी शिकायत लेकर शंकर लाल चौहान बैंक और प्रशासन के पास पहुंचा। तत्पश्चात बैंक ने कार्रवाई करते हुए पुलिस के साथ मकान खाली कराने आ धमके। फिर क्या था, मकान में रह रहे परिवार में महिलाएं बच्चे और दयाराम के दोनों लड़के ने विरोध करने लगे। तब भी जब बात नहीं बनी तो छत पर चढ़ कर पथराव करने लगे। फिर केरोसिन डाल आग लगाने की कोशिश भी की। यह सब मामला जैसे ही उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया, अतिरिक्त पुलिस बल भेज कर, वाटर कैनन का इस्तेमाल कर आग बुझाई गई। पत्थरराव को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। जिसके बाद पुलिस फोर्स ताबड़तोड़ ऊपर चढ़ा और बंद दरवाजे को तोड़ अंदर दाखिल हुआ, लेकिन तब तक दयाराम के दोनों लड़के मौके से फरार हो चुके थे।

मकान का कब्जा बैंक को दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा की जा रही थी कार्यवाही

मौके पर से एक व्यक्ति को पुलिस बलपूर्वक घसीटते लाठीचार्ज करते हुए ले आई। वहीं परिवार दयाराम की पत्नी, दोनों लड़कियों को पुलिस ने अभिरक्षा में ले लिया और मौके पर पुलिस तैनात कर दी है। मौके पर बुलडोजर चला कर बाहर बने दुकानों पर बुलडोजर चलवाया गया, जिनमें रखा सामान मौके पर मौजूद लोगों ने लूट लिया। सबसे बड़ा सवाल यह की आखिर स्थिति नियंत्रण से बाहर क्यों हुई जो 1 घंटे तक इस तरह का गदर मचा और पुलिसिया कार्रवाई आंसू गैस के गोले लाठीचार्ज से पूरे क्षेत्र में जनता में जो खो बैठा है उसे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी पहले ही मौके पर पहुंच जाते तो हो सकता था कि ऐसी स्थिति ना बिगड़ती।