Jul 28, 2022
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने और उसकी गौरवशाली परंपरा को सम्मान दिलाने का जो संकल्प लिया था, उसे हर बार निभाया है...मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इस दिशा में एक नई क्रांति का आगाज हुआ है...हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण और पहला त्यौहार होता है..भूपेश बघेल के प्रदेश का मुखिया बनने के बाद अब यह त्यौहार नई रौनक और उसी उत्साह के साथ प्रदेश के घर-घर पहुंचा है.... मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस सराहनीय पहल का ही परिणाम है कि अपनी परंपराओं को भूल रही युवा पीढ़ी भी इस त्यौहार के रंग में सराबोर है..
हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण और पहला त्यौहार होता है..मुख्यरूप से यह किसानों का त्यौहार है लेकिन बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस त्यौहार को लेकर बेहद उत्साहित रहते हैं..बड़ी बात यह है कि सावन का यह पहला त्यौहार होता है और हरेली के दिन से ही सभी त्यौहारों की शुरूआत होती है..हरेली के दिन जहां किसान अपने कृषि यंत्रों और बैलों की पूजा करते हैं वहीं परंपरागत खेल भी खेलते हैं..छत्तीसगढ़ में यूं तो हरेली का त्यौहार मानने की परंपरा शुरू से रही है लेकिन कहीं ना कहीं इस त्योहार की महत्ता और इसे लेकर लोगों का उत्साह कहीं खोता चला जा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रदेश का मुखिया बनने के बाद अब यह त्यौहार नई रौनक और उसी उत्साह के साथ प्रदेश घर-घर पहुंचा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस सराहनीय पहल का ही परिणाम है कि अपनी परंपराओं को भूल रही युवा पीढ़ी भी इस त्यौहार के रंग में सराबोर है।
हरेली से छत्तीसगढ़ में त्यौहारों की शुरूआत होती है..जुलाई के मौसम में प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़ी होती है..हरे भरे खेत और अपने खेतों में लहलहाती धान की फसलों को देख मनमस्त किसान इंतजार करता होता है हरेली के तिहार का..जी हां क्योंकि इस तिहार के बाद तो त्यौहारों की कतार लग जाती है..हरेली सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है..हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है..इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं..घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं..हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं..
छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर शासन द्वारा बीते साढ़े तीन वर्षों के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के क्रम में स्थानीय तीज-त्यौहारों पर भी अब सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं..इनमें हरेली तिहार भी शामिल है..जिन अन्य लोक पर्वों पर सार्वजनिक अवकाश दिए जाते है उसमें तीजा, मां कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), विश्व आदिवासी दिवस और छठ शामिल है..अब राज्य में इन तीज-त्यौहारों को व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। खासियत यही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही पूरी सरकार भी इन गौरवशाली आयोजनों में शामिल होती है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ही प्रदेश की अस्मिता से जुड़े इन महान तीज त्योहार का भव्य आयोजन मुख्यमंत्री आवास में भी किया जाता है। साल 2020 में हरेली पर्व के ही दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की थी जो केवल 02 वर्षों में अपनी सफलता को लेकर अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन गई है..इस योजना का देश के अनेक राज्यों द्वारा अनुसरण किया जा रहा है..आगामी हरेली तिहार 28 जुलाई से इस योजना में और विस्तार करते हुए अब गोबर के साथ-साथ गोमूत्र खरीदी करने की भी निर्णय लिया गया है.. छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर लगातार रिसर्च करने वाले जानकारों का कहना है कि त्यौहार सिर्फ मौज मस्ती के लिए नहीं होते बल्कि इनके मनाने के पीछे राज्य के पुरखों के संदेश भी छिपे होते हैं..यह राज्य की सांस्कृतिक एकता और विरासत को भी समेटे होते हैं..हरेली के तिहार का क्या उद्देश्य है और छत्तीसगढ़ की संस्कृति कितनी प्राचीन है और समृद्ध है यह भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घर-घर पहुंचाने की कोशिश की। और इस बात में अब कोई भी संदेह नहीं रहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह प्रयास न केवल सफल हुआ है बल्कि देश के अन्य उन राज्यों के लिए एक प्रेरणा पुंज बना है जिन्होंने अपने प्रदेश की गौरवशाली परंपरा को बिसार दिया है। सत्ता की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा प्रदेश की संस्कृति, सभ्यता और गौरवशाली परंपराओं को उसका सम्मान दिलाने के लिए लिया गया संकल्प अब जमीन पर साकार होता दिखाई दे रहा है। हरेली के परंपरागत व्यंजनों का जायका और गेड़ी की मस्ती अब पूरे शबाब पर है।
वहीं राज्य के आम लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक आम छत्तीसगढ़िया के मन में अपने त्यौहारों को लेकर एक नया अभिमान जगाया है..हरेली का त्यौहार आज घर घर में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को बिखेरने का बड़ा माध्यम हो गया है..
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस दिन प्रदेश के मुखिया के रूप में ही नहीं बल्कि साथ ही किसानों के प्रतिनिधि के रूप में भी हरेली की पूजा करते हैं..पूरा मुख्यमंत्री निवास हरेली तिहार के रंग में रंगा होता है..प्रदेश भर से लोग जहां बधाईयां देने आते हैं..मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली तिहार को जहां नई चमक दी है वहीं युवा पीढ़ी को इससे जोड़कर आने वाली पीढ़ियों को भी उनकी संस्कृति और परंपरा के साथ या यूं कहें उनकी जड़ों के साथ जोड़ दिया है..








