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कांवड़ यात्रा 2022: क्या है सावन में कांवड़ यात्रा का महत्व? कांवड़ियों को किन नियमों का करना होता है पालन?

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Jul 28, 2022

भगवान शिव का पावन महीना सावन शुरू हो चुका है। सावन के महीने को श्रावण मास भी कहा जाता है। ये महीना शिव भक्तों के लिए अहम माना जाता है। लोग सावन में भोलेनाथ को खुश करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस माह में कांवड़ यात्रा का भी खास महत्व होता है। इस यात्रा के कई नियम होते हैं, और इससे जुड़ा इतिहास बेहद दिलचस्प है। कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त गंगा नदी से पवित्र जल भर कर पैदल यात्रा करते हैं और शंकर जी का जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर कामना पूरी करते हैं। कांवड़ यात्रा की ये परंपरा काफी पुरानी और पवित्र मानी जाती है। आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें।

कांवड़ियों से जुड़ी पौराणिक कथाएं

कांवड़ यात्रा को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं, जो हम सभी ने कभी न कभी सुनी होंगी। ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कांवड़ यात्रा की थी। वहीं ये भी माना जाता है कि, भगवान श्री राम, रावण, परशुराम, ने कांवड़ यात्रा प्रारंभ की थी। भगवान परशुराम ने महादेव को खुश करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर आए थे। इससे कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी।  

रावण ने भी की थी कांवड़ यात्रा  

ऐसा भी कहा जाता है कि लंका नरेश रावण ने भी कांवड़ यात्रा की थी। जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विष ग्रहण किया था तो उनके गले में जलन होने लगी थी। इस दौरान देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया था। इस वक्त भोलेनाथ ने अपने परम भक्त रावण को भी याद किया था, जब रावण कांवड़ में जल लेकर उनके पास पहुंचा था। 

कांवड़ यात्रा के नियम

शिव को प्रसन्न करने के यात्रा कर रहे कांवड़ियों को कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है। आज के समय में तो कांवड़ यात्रा लोग गाड़ियों से भी करने लगे हैं, पर वास्तव में शिव के जलाभिषेक का ये सफर पैदल ही तय करना होता है। इसके दौरान कांवड़ियों को साधु की तरह रहना होता है। यानी भक्त तामसिक भोजन या नशीले पदार्थ का सेवन नहीं कर सकते। रास्ते में कांवड़ को कहीं ङी जमीन पर नहीं रखा जा सकता, अगर ऐसा किया तो यात्रा दोबारा शुरू करनी होगी। ऐसी मान्यता है कि, नियमों के साथ कांवड़ यात्रा करने पर मन्नत जरूर पूरी होती है।