Jul 11, 2017
रायपुर : शिक्षकों की कमी दूर करने को लेकर मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट आज रमन कैबिनेट की मीटिंग में पेश की गई। रिपोर्ट देखने के बाद कैबिनेट के ज्यादातर मंत्रियों ने इस पर असहमति जताई। बताते हैं कि कैबिनेट मीटिंग में इस मुद्दे पर करीब एक घंटे तक बहस चलती रही। सूत्र से मिली जानकारी अनुसार रिपोर्ट में शिक्षाकर्मियों की पदोन्नति का जिक्र तो था, लेकिन शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियमित विषयवार व्याख्याता और प्राचार्यो के पद भरने को लेकर कोई सुझाव नहीं था। इस मामले को लेकर ही मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की। बताया जा रहा हैं कि कुछ मंत्री चाहते थे कि शिक्षकों के नियमित पद भरे जाए। जिससे शिक्षा विभाग के बंद होने की नौबत ना आ जाए। बैठक के दौरान मुख्य सचिव द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर समेत कई मंत्रियों ने दलील देते हुए कहा कि 16 साल बाद भी प्रदेश में नियमित शिक्षकों के पद भरे नहीं जा सके हैं, क्योंकि इन्हें डाइंग कैडर घोषित कर दिया गया था। अब इन पदों को पुनर्जीवित किए जाने की जरूरत हैं। मंत्रियों ने कहा कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया हैं कि नियमित शिक्षकों की भर्ती पर शासन पर कितना वित्तीय भार आएगा।
कैबिनेट मीटिंग के दौरान शिक्षकों को सिर्फ स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन लाने की भी मांग उठी। हालांकि पंचायत विभाग इससे असमहत नजर आया। प्रदेश में फिलहाल शिक्षकों की नियुक्ति तीन अलग-अलग विभागों द्वारा की जा रही हैं। बताया जा रहा हैं कि पंचायत विभाग की आपत्ति इसलिए थी क्योंकि शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति यही विभाग करता हैं। व्याख्याताओं, प्रधानपाठक और प्राचार्य की नियमित नियुक्ति के मामलों पर मंत्रियों की दलील के बीच वित्त विभाग ने ये कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि इससे शासन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। मंत्रियों और वित्त विभाग को सुनने के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि वित्त विभाग इस मामले का आंकलन करके बताए कि नियमित नियुक्ति किए जाने पर शासन पर कितना आर्थिक बोझ बढ़ सकता हैं। कैबिनेट ने तय किया कि अगली बैठक में नए सिरे से रिपोर्ट पेश किया जाए. रिपोर्ट पेश करने के बाद ही इस दिशा में कोई निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी है, तो नियमित शिक्षक ही विकल्प
रमन कैबिनेट की बैठक के दौरान मंत्रियों ने दो टूक कह दिया कि प्रदेश में यदि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी हैं, तो नियमित शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। दलील दी गई कि यदि पांच हजार पोस्ट ग्रेजुएट सालाना निकलते हैं, तो इनमें से पांच सौ भी शिक्षक बनने को तैयार नहीं होते, क्योंकि शिक्षाकर्मियों के पद पर इन्हें ज्यादा तनख्वाह नहीं मिलती। ऐसे में पोस्ट ग्रेजुएट दूसरी नौकरियों की ओर डायवर्ट हो रहे हैं।
करीब 72 हजार शिक्षकों के पद रिक्त
सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रायमरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल तक करीब 72 हजार पद रिक्त हैं। पिछले कैबिनेट की बैठक के दौरान जब शिक्षकों की कमी के मुद्दे को लेकर प्रेजेंटेशन दिया गया था, तो इस बात की सिलसिलेवार जानकारी दी गई थी।