Feb 28, 2019
मनोज कुमार यादव- हसदेव नदी बराज संभाग रामपुर के राजेश धवनकर ने शासन से मंजूरी लिए बिना ही, अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर, नहर की ज़मीन को कोयला निकालने के लिए अधिग्रहण करने बाबत एसईसीएल को एनओसी जारी कर दी थी। बीते दिन ही यह मामला विधानसभा में खैरागढ़ के विधायक देवव्रत सिंह ने उठाया था। जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने निलंबन मामले की जांच की घोषणा कर दी। आपको बता दें कि एसईसीएल कुसमुंडा खदान का विस्तार करने 1052 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें नहर का 8 किलोमीटर हिस्सा शामिल है। नहर के नीचे 500 मिलियन टन होने की बात कही जा रही है।
करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उठाना पड़ सकता है नुकसान
यह नहर हसदेव नदी रामपुर संभाग के अधीन आता है। पहले तो विभाग के अधिकारियों ने ज़मीन अधिग्रहण के लिए यह कहकर अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि जब तक नहर को शिफ्ट करने की योजना आगे नहीं बढ़ेगी, तब तक फैसला नहीं लिया जाएगा। किंतु कोरबा के ईई एसईसीएल पर मेहरबान होते हुये अपने कार्य क्षेत्र से आगे बढ़ कर, एसईसीएल को एनओसी जारी कर दी। इसी नहर से जांजगीर चांपा जिले की प्यास बुझती है। यदि इस नहर पर आंच आएगी, तो करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा, साथ ही लगभग एक लाख हेक्टेयर भूमि बंजर हो जाएगी।
एसईसीएल प्रबंधन ग्रामीणों को ही नुकसान पहुंचाने के पीछे लगी
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मां सर्वमंगला मंदिर व नहर पर यदि कोई आंच आएगी तो उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उचित होगा कि नहर जस की तस रहे, खदान खोदी जाए किंतु बिना नुकसान के। एक और राज्य सरकार खाली पड़ी अधिग्रहित जमीनों को ग्रामीणों को वापस कर रही है। दूसरी ओर एसईसीएल प्रबंधन ग्रामीणों को ही नुकसान पहुंचाने के पीछे लगी हुई है। उनका साथ भी भ्रष्ट अधिकारी ही दिया करते हैं। इस मामले में जब हमने अधिकारी से सम्पर्क किया तो उनका मोबाइल बंद बता रहा है। वहीं कोई भी जवाबदार इस मामले में बचते नजर आ रहे हैं।