Mar 2, 2019
शेख आलम- धरमजयगढ़ के छाल वन परिक्षेत्र में दिन दहाड़े जंगल से लकड़ी की चोरी हो रही है। वहीँ संबंधित अधिकारी नींद में गाफिल हैं। वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी अपने कर्तव्य से किस कदर विमुख है, इसका अंदाजा जंगल से लकड़ी चोरी करते हुये लोगों को देख कर सहजता से लगाया जा सकता है। जंगल से गाड़ी में लकड़ी भरके ले जाते, साफ़ नज़र आ जायेंगे ग्रामीण लोग। जिन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। लकड़ी चोर जंगलों की अंधाधुन अवैध कटाई कर रहे हैं। दो बैलगाड़ी से सूखे पेड़ को काटकर बड़े आराम से ग्रामीण लकड़ी की चोरी कर ले जाते हैं। कुल मिलाकर चोरों के हौसले बुलंद है और हो भी क्यों न क्योंकि कोई रोक-टोक तो है नहीं। लकड़ी ले जाते ग्रामीणों से पूछने पर हैरत करने वाला जवाब मिलता है जो इस मामले को साफ़ करता है। उनका कहना है वन कर्मियों द्वारा सूखा लकड़ी ले जाने को कहा गया है।
वन परिक्षेत्र अधिकारी और ग्रामीणों के बीच मिलीभगत से हो रहा है काम
पूरा मामला छाल वन परिक्षेत्र के पुरुंगा, हाटी जंगल का है। जहाँ लकड़ी चोर इतने सक्रिय हैं कि दिन को ही बेख़ौफ़ होकर बैलगाड़ी से लकड़ी की चोरी कर ले जाते हैं। छाल वन परिक्षेत्र अधिकारी सत्यव्रत दुबे और उनके मातहत कर्मचारी कुम्भकर्णीय नींद में सो रहे हैं। यह कहीं न कहीं उनकी सांठ-गांठ की बात को बल देता है। ऐसे में यहां यह कहना गलत न होगा कि रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो जंगल की रक्षा करेगा कौन, ये बड़ा गंभीर सवाल है? साथ ही यह मामला जिस तरह से सामने आ रहा है, उससे तो यही लगता है कि संबंधित अधिकारी कर्मचारी के शह से लकड़ी की चोरी हो रही है। चाहे फिर लकड़ी सूखी हो या फिर हरे भरे पेड़ों के। आख़िरकार राजस्व की क्षति तो हो ही रही है।








