Dec 21, 2025
विश्व गुरु का सपना: RSS की शताब्दी में मोहन भागवत का स्पष्ट संदेश
कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यानमाला में सरसंघचालक मोहन भागवत ने संगठन के मूल उद्देश्य को फिर से रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ की स्थापना का एकमात्र लक्ष्य भारत को उसकी प्राचीन परंपराओं के साथ फिर से विश्व गुरु बनाना है। भागवत ने लोगों से अपील की कि संघ को किसी राजनीतिक दल के नजरिए से न देखें, बल्कि उसके वास्तविक स्वरूप को समझें।
संघ का उद्देश्य: भारत को विश्व गुरु बनाना
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि संघ का जन्म किसी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा या विरोध से नहीं हुआ। यह हिंदू समाज को संगठित, उन्नत और संरक्षित करने के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा, "भारत माता की जय ही संघ की स्थापना का संक्षिप्त उत्तर है। यहां भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि एक विशेष स्वभाव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।" संघ का लक्ष्य समाज को तैयार करना है ताकि भारत वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सके।
BJP के चश्मे से देखना गलत
भागवत ने चेतावनी दी कि संघ को भाजपा या किसी अन्य राजनीतिक दल के माध्यम से समझने की कोशिश भ्रम पैदा करती है। "संघ न तो केवल एक सेवा संगठन है और न ही इसे किसी राजनीतिक विचारधारा से जोड़ा जाना चाहिए।" उन्होंने लोगों से अपील की कि संघ के बारे में धारणा द्वितीयक स्रोतों से न बनाएं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव करें।
ऐतिहासिक संदर्भ और सामाजिक सुधार
इतिहास का जिक्र करते हुए भागवत ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न धाराएं थीं। सुभाष चंद्र बोस के बाद सशस्त्र संघर्ष कम हुआ, लेकिन राजा राम मोहन राय से शुरू हुई सामाजिक सुधार की लहर निरंतर चली। स्वामी विवेकानंद और दयानंद सरस्वती जैसे महापुरुषों ने समाज को जड़ों से जोड़ने पर जोर दिया। संघ इन प्रयासों को पूर्ण करने का माध्यम है।
समाज से अपील: रोज एक घंटा देश के लिए
भागवत ने सभी से आग्रह किया कि देश और समाज की बेहतरी के लिए रोजाना कम से कम एक घंटा निकालें। पश्चिम बंगाल के चार दिवसीय दौरे पर आए भागवत का यह संबोधन संघ की शताब्दी Celebrations का हिस्सा है।







