Jul 11, 2022
अमरकंटक से सटे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर छत्तीसगढ़ के राजमेरगढ़ पहाड़ी को तपोस्थली के रूप में विकसित करने की योजना और मुख्यमंत्री की घोशणा को अमलीजामा पहनाने की दिषा में वनविभाग ने प्रयास तेजी से षुरू कर दिये हैं जबकि यहां जमीनों पर कब्जे और फर्जीवाड़े के खिलाफ राजस्व विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा है। दरअसल मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने छत्तीसगढ़ की सीमा मे स्थित राजमेरगढ़ की पहाड़ी को तपोस्थली के रूप में विकसित करने की घोशणा करते हुये तपोवन की तर्ज पर यहां बिना सीमेंट और लोहे के उपयोग से तपोस्थली कार्य कराने के निर्देष दिये थे जिस पर वनविभाग ने प्रोजेक्ट तैयार कर अब राज्य सरकार को भेज दिया है और अब इसको मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। वहीं इसके पहले पूर्व की रमन सिंह की सरकार ने इसी पहाड़ी में पांच करोड़ की लागत से रिसार्ट का निर्माण कराया जा रहा था जोकि आधा अधूरा ही रह गया और अब यहीं पर तपोवन बनाये जाने की दिषा में काम कराया जावेगा जिससे इस रिसार्ट की स्थिति अधर में अटक गयी है। वहीं राजमेरगढ़ की पहाड़ी पर जमीनों के फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराने में बड़े और रसूखदार लोगों के नाम होने के कारण राजस्व विभाग के द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही है जबकि वनविभाग ने जांच में जमीनों के सौदों और यहां कब्जों को अवैध पाते हुये रिपोर्ट षासन को भेज चुके हैं। ऐसे में तपोस्थली बनने के पहले राजमेरगढ़ की पहाड़ी पर कब्जा और सौदे का खेल को रोकना भी प्रषासन के लिये चुनौती बन गया है। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेष बघेल हाल ही मे अपने भेंट मुलाकात दौरे के समय प्रेस कान्फ्रेंस में यह बात स्पश्ट तौर पर कह दिये हैं कि राजमेरगढ़ को तपोस्थली ही बनाया जावेगा और माफियागढ़ नहीं बनने दिया जावेगा पर जिले के राजस्व अधिकारी अभी भी राजमेरगढ़ के जमीन फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्यवाही षुरू नहीं कर सके हैं.....