Mar 4, 2020
मुंबईः भारत की अदालतों में बलात्कार के लगभग एक लाख मामले अब भी लंबित हैं। इसके बाद भी देश में औसतन बलात्कार के 90 मामले रोज होते हैं और इन मामलों में अभियुक्तों को सजा मिलने का प्रतिशत एक तिहाई से भी कम हो रहा है। इसके अलावा बाकी सारे दोषी सबूतों के अभाव में या पर्याप्त गवाह न मिलने के कारण छूट जाते हैं और ये सब उस देश में हो रहा है जिसकी 80 फीसदी आबादी किसी न किसी देवी की पूजा करती है। इसके साथ ही लार्ज शॉर्ट फिल्म्स के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुई फिल्म देवी ये सारे आंकड़े फिल्म खत्म होने के बाद बताती है। इसके साथ ही 13 मिनट की फिल्म देवी में काजोल एक तरह से सूत्रधार की तरह कहानी को बांधती हैं। एक कमरे में एक तरफ निम्न आयवर्ग की महिलाएं हैं। दूसरी तरफ कुछ संभ्रांत घराने की युवतियां हैं। बीच में एक मूक बधिर बालिका है जो टीवी पर चल रहे समाचार सुनने के लिए रिमोट से संघर्ष कर रही है। सब आपस में बहस कर रही हैं। जिंदगी की साधारण सी दिखने वाली ये बहस धीरे धीरे दर्शक के मन में रिसती है।
फिल्म आखिरी फ्रेम तक अपना संदेश मजबूती से सामने रखने में कामयाब
परत दर परत दर्द उघड़ता है और पता चला है कि इनमें से हर एक देह के साथ मर्यादा के मर्दन का शिकार हुई है। इसके साथ ही सबका दर्द भले एक सा है पर टीस सबकी अपनी अपनी है। इस घाव को कुरेद रही है वह आमद जिसे भीतर लाने का साहस आखिर इनको करना ही होता है। वहीं दरवाजा खुलता है और इस बार जो इनके साथ रहने आई है, उसे देखकर दर्शक का कलेजा मुंह को आ जाता है। इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले यूट्यूब पर रिलीज इस लघु फिल्म को प्रियंका बनर्जी ने वाकई काफी संजीदगी से लिखा है और फिल्माया भी इसे बहुत ही संवेदना के साथ है। असल में काजोल के मराठी संवाद मारक हैं। इसके साथ ही श्रुति हसन, नीना कुलकर्णी और नेहा धूपिया की हालात से हड़बड़ी सहज लगती है। वहीं फिल्म आखिरी फ्रेम तक अपना संदेश मजबूती से सामने रखने में कामयाब होती है।