Jul 6, 2017
इंदौर : सेंट्रल जेल में बंद कैदियों में कोई सीए, तो कोई एमबीए, तो कोई इंजीनियर हैं। लेकिन सभी कैदी मिलकर दूसरे कैदियों को पढ़ना सीखा रहे हैं। इसके लिए जेल प्रशासन कई तरह से मदद भी कर रहा हैं। कैदियों की पढ़ाई में किसी तरह कोई दखलंदाजी ना हो और जो कैदी पढ़ना चाहते, उन कैदियों के बैरक अन्य कैदियों के बैरक से दूर कर दिये हैं। हर सम्भव मदद जेल प्रशासन कैदियों को मुहया करवा रहा हैं। इंदौर के जिला और केन्दीय जेल में तकरीबन सात हजार से अधिक कैदी बंद हैं। यदि हम सिर्फ सेंट्रल जेल में बंद कैदियों की बात करें, तो तकरबीन 4 हजार कैदी इस जेल में बंद हैं। इन कैदियों में किसी को फांसी की सजा हैं, तो किसी की सजा हाई कोर्ट में लंबित हैं। लेकिन जितने भी कैदी जेल में बंद हैं, उनमे से आधे से अधिक हाई एजुकेटेड हैं, इनमें कोई सीए हैं, कोई एमबीए, तो कोई इंजीनियर हैं। लेकिन ये सभी एजुकेटेड कैदी अन्य कैदियों को जेल में पढ़ा रहे हैं और इनकी मदद जेल प्रशासन कर रहा हैं। जेल प्रशासन इन कैदियों को पढ़ाई के लिये जरूरत के हिसाब से माहौल तैयार करता हैं, तो उनको बेहतर एजुकेशन के लिये इग्नू और अन्य संस्थानों से पढ़ाई के लिये कोर्स उपलब्ध करवाता हैं। यदि किसी विषय में किसी कैदी को समस्या आती हैं, तो उसके लिये बाहर से प्रोसेसर की व्यवस्था जेल प्रशासन करता हैं। जेल प्रबंधक का कहना हैं कि इस तरह से किसी कैदी के जीवन में कुछ सुधार आ जाये तो इससे बढ़कर और क्या हो सकता हैं। अपराध करने के बाद व्यक्ति काफी मुश्किलों में घिर जाता हैं और यदि जेल में बंद होकर कोई अपराधी सुधर जाता हैं या फिर एक अच्छा इंसान बन जाता हैं, तो इससे बढ़कर जेल प्रबंधक के लिए कुछ नहीं हो सकता।