Nov 25, 2016
भोपाल। शासकीय यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय में यूनानी पद्धति के लिए पी.जी. (एम.डी./एम.एस.), फैलोशिप और पी.एच.डी. शुरू करने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह जानकारी प्रमुख सचिव आयुष शिखा दुबे ने दो दिवसीय 'लीच थैरेपी' की राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन पर कही।
कार्यशाला में बताया गया कि लीच (जोंक) थैरेपी से बहुत से असाध्य रोगों का इलाज संभव है। इस पद्धति में चिकित्सक रोगी के शरीर के विभिन्न अंगों पर चिकित्सकीय जोंक लगाकर खराब खून को शरीर से निकालता है। अन्तर्राष्ट्रीय शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि जोंक के थूक (Saliva- सलाईवा) में अत्यन्त लाभकारी पदार्थ पाये जाते हैं जो कि जोंक खून चूसते समय उसे रोगी के शरीर में डाल देती है और यह रासायनिक पदार्थ बहुत सारे रोगों में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हुए हैं। इस अवसर पर विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह, केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के डिप्टी एडवाइजर डॉ. मुख्तार कासमी उपस्थित थे।