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प्रदेश में इंदौर सबसे प्रदूषित, पीएम 10 की मात्रा ज्यादा 

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Dec 11, 2016

इंदौर। आर्थिक राजधानी इंदौर की आबोहवा प्रदेशभर में सबसे ज्यादा प्रदूषित है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदेश के 39 स्थानों पर की जाने वाली मॉनीटरिंग में दिसंबर के शुरुआती सप्ताह की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। प्रदेश में इंदौर ही एकमात्र ऐसा जिला है जिसके तीनों सेंटरों पर पीएम 10 की मात्रा 100 से ऊपर है। वेबसाइट पर जारी मैपिंग रिपोर्ट में दिसंबर के पिछले आठ दिनों के आंकड़ों में ग्वालियर के महाराज वाड़ा में सबसे अधिक 118.37 एयर क़्वालिटी इंडेक्स रहा है। यहां पीएम 10 की मात्रा 111 पहुंच गई है जबकि इंदौर के तीनों सेंटर का एयर क़्वालिटी इंडेक्स 100 से ऊपर है।

बोर्ड के नियमों के हिसाब से इसे प्रदूषित माना जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक पीएम 10 की मात्रा लगातार 100 से ऊपर रहने से श्वास संबंधी रोगों की आशंका रहती है। बोर्ड अधिकारी बताते हैं कि ठंड के दिनों में अक्सर पीएम 10 की मात्रा बढ़ जाती है लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अभी प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बहुत खराब नहीं है।

यहां स्थिति ठीक

रिपोर्ट के मुताबिक जबलपुर, भोपाल, शहडोल, सागर, कटनी, सतना, छिंदवाड़ा, मंडीदीप, नागदा, देवास में परिणाम संतोषजनक मिले हैं। भोपाल के पर्यावरण परिसर को सबसे अच्छा बताया गया है।

यहां परिणाम खराब

आंकड़ों के मुताबिक इंदौर के अलावा उज्जैन के औद्योगिक क्षेत्र, सिंगरोली के जयंत और विंध्यनगर और ग्वालियर के महाराज वाड़ा में परिणाम 100 से ऊपर गए हैं। शेष स्थानों पर परिणाम संतोषजनक हैं।

रेड जोन में आ गया था इंदौर

कुछ साल पहले इंदौर प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के तय मानकों के हिसाब से रेड जोन में आ गया था जिसके बाद यहां नए उद्योगों की अनुमति पर रोक लगा दी गई थी। बाद में प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए सख्ती से फैक्टरियों के निरीक्षण कर नियम लागू करवाए गए थे। कुछ महीने बाद सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने यहां का सर्वे किया जिसमें परिणाम संतोषजनक आए। इसके बाद इंदौर रेड जोन की लिस्ट से बाहर निकल पाया।

यह है इंदौर की स्थिति (पीएम 10)

सेंटर मॉनिटरिंग का दिन औसत परिणाम

विजय नगर 8 दिसंबर 106.81

सांवेर रोड 6 दिसंबर 103.31

कोठारी मार्केट 7 दिसंबर 106.87

सही आंकड़े नहीं बताते

इंदौर में इससे कहीं ज्यादा प्रदूषण है लेकिन अधिकारी सही आंकड़े पेश नहीं करते हैं। पीएम 10 की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। रोकथाम के प्रयास नहीं हो रहे हैं। - किशोर कोडवानी, सामाजिक कार्यकर्ता

शहर में बढ़ते प्रदूषण का कारण वाहनों का धुआं है। हम अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे हैं लेकिन लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। संबंधित विभागों और कारखानों को हम निर्देश जारी करेंगे। - आरके गुप्ता, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड