Oct 1, 2016
भोपाल। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्र में देश का आदर्श राज्य बनने की पूरी संभावना है। उन्होंने सभी उद्यमियों का आव्हान किया कि इसके लिये वे आगे आये और कड़ी मेहनत करें। मिश्र आज यहाँ दो दिवसीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सम्मेलन 2016 को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में दो हजार उद्यमियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा जब तक छोटे उद्योगों का विकास नहीं होगा देश का तेज विकास नहीं हो सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और स्टेण्ड अप इंडिया जैसी योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने मध्यप्रदेश द्वारा सूक्ष्म एवं लघु दोनों के लिये अलग से विभाग गठित करने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की। मिश्र एवं चौहान ने मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नीति का विमोचन किया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश अपनी स्वयं की स्टार्ट अप नीति लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।
मुख्यमंत्री चौहान ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कई घोषणाएँ की। अब एमएसएमई इकाइयों की स्थापना के लिये दी गई सुविधाएँ और सहायता को लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में शामिल किया जायेगा। इससे पूँजी अनुदान, वेट प्रतिपूर्ति एवं प्रवेश कर छूट संबंधी कार्रवाई एक माह की समय-सीमा में पूरी करनी होगी। इसके अलावा अन्य अनुमतियों को भी इस अधिनियम के दायरे में लाया जायेगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एमएसएमई इकाइयों को दी गई भूमि के क्षेत्रफल एवं मूल्य में दी जा रही छूट के स्लेब में परिवर्तन कर भूमि के मूल्य पर अधिकतम छूट बढ़ाकर 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत की जायेगी।
कलराज मिश्र ने पूरे विश्व में मध्यप्रदेश द्वारा सर्वाधिक कृषि विकास दर हासिल करने के लिये मुख्यमंत्री की तारीफ की और कहा कि अब सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि केन्द्र की योजनाओं और प्रौद्योगिकी के सहयोग से लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार द्वारा लघु उद्यमियों के लिये स्थापित किये गये 12 टूल रूम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के सहयोग से देश में 15 नये टेक्नालॉजी सेंटर शुरू किये जायेंगे। इनमें से एक भोपाल के अचारपुरा में 125 करोड़ रूपये की लागत से शुरू होगा। इसमें प्रति वर्ष 8000 उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिये शहर में 25 प्रतिशत और गाँव में 35 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। मध्यप्रदेश के लिये 160 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी उपलब्ध करवाई गई है। इस प्रकार मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे चल रहा है। उन्होंने टेक्नालॉजी सेंटर का शिलान्यास भी किया।
मिश्र ने बताया कि देवास और अमरकंटक में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जायेंगे। केन्द्र की स्फूर्ति योजना में होशंगाबाद और बैतूल को शामिल किया गया है। योजना में पारम्परिक उद्योगों को दोबारा जीवन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि रीवा में सुपारी कला भी ऐसा ही उद्योग है। इसमें भी केन्द्र मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाली इन्फ्रा-स्ट्रक्चर संबंधी योजनाओं और सुविधाओं के लिये मध्यप्रदेश द्वारा भेजे गये प्रस्तावों पर प्राथमिकता से विचार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि क्लस्टर विकास में शिवपुरी और गोविंदपुरा को शामिल किया गया है। मिश्रा ने आशा व्यक्त की कि केन्द्र की योजनाएँ और राज्य सरकारों के सहयोग से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के उत्पादों को विश्व बाजार में पहचान मिलेगी। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल 21 जिलों में परम्परागत उद्योगों को बढ़ावा देने और नई इकाइयों की स्थापना के लिये एस.सी.–एस.टी. हब बनाने का प्रस्ताव दें। इसे परीक्षण कर स्वीकृत किया जायेगा। उन्होंने स्टार्ट अप नीति लागू करने के लिये मुख्यमंत्री चौहान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि आधारित प्र-संस्करण इकाइयों की बहुत संभावनाएँ हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणाएँ
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग इकाइयों को मार्गदर्शन एवं सहायता देने के लिये एमएसएमई फेसिटिलेशन सेल का गठन किया जाएगा। इसके जरिए एमएसएमई इकाइयों को शासन की नीतिओं पर मार्गदर्शन, सुविधा एक स्थान पर मिलेगी। यह सेल एक जनवरी, 2017 से प्रारम्भ किया जाएगा। इस सेल में 20 कंसलटेंट कार्य करेंगें। इन कंसलटेंट को बड़े जिलों में पदस्थ करेंगे और आस-पास के जिलों का दायित्व इन्हें दिया जाएगा।
एमएसएमई इकाइयों के प्रोत्साहन के लिये शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ एवं सहायताओं को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में सम्मिलित किया जाएगा। इसके अंतर्गत पूँजी अनुदान, वेट प्रतिपूर्ति एवं प्रवेश कर छूट की कार्यवाही पूर्ण करने के लिये एक माह की समय-सीमा तय ।
इसके अलावा उद्योगों की आवश्यक अनुमतियों को भी लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में लाया जायेगा।
पाँच औद्योगिक प्रदर्शनी केन्द्र बनेंगे।
प्रदेश के पाँच प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में एक्जीबिशन सेण्टर बनाये जायेंगे। इनमें गोविन्दपुरा भोपाल, रिछाई जबलपुर, पोलो ग्राउण्ड इंदौर,मेला ग्राउण्ड, ग्वालियर एवं सतना शामिल है।
निजी भूमि पर इकाई स्थापना की अनुमति की समय-सीमा तय।
एमएसएमई इकाइयों द्वारा अपनी निजी भूमि पर औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित करने के लिये डायवर्सन अंतर्गत रि-असेसमेंट आदेश एक माह में जारी होंगे। इसके वर्तमान प्रावधानों को लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम के तहत लाया जायेगा ताकि एक निश्चित अवधि में एमएसएमई इकाइयों को लाभ प्राप्त हो सके।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रति त्रैमास एमएसएमई की समस्या निराकरण/इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सुझावों के लिए ओपन हाउस आयोजित किया जाएगा, जिसमें औद्योगिक संघ और विभागों के सचिव साथ रहेंगे।
एमएसएमई विभाग की पृथक वेबसाइट का निर्माण किया गया। यह आज से प्रारंभ होगी।
प्रदेश के उद्यमियों को ऑनलाईन निःशुल्क उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
निजी औद्योगिक पार्क की स्थापना के विकास में व्यय हुई राशि की प्रतिपूर्ति के लिए उसका क्षेत्रफल न्यूनतम 50 एकड़ के बजाय 10 एकड़ किया जायेगा।
औद्योगिक भूमि आवंटन नियम में बदलाव
एमएसएमई इकाइयों को आवंटित की जाने वाली भूमि के क्षेत्रफल एवं भूमि के मूल्य में दी जा रही छूट के स्लेब में परिवर्तन कर भूमि के मूल्य पर अधिकतम छूट 90 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत की जायेगी।
बीमार/बंद उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए 50 प्रतिशत तक की भूमि को विक्रय किये जाने की अनुमति दी जायेगी। ये सुविधाएँ एक अप्रैल 2015 के पूर्व बंद/बीमार इकाई के रूप में परिभाषित इकाइयों के लिए होगी।
एक अप्रैल, 2015 के पूर्व के पट्टाधारकों को पट्टे की शर्तों के अनुसार ही भू-भाटक प्रभावशील रहेंगे, किन्तु इकाई के हस्तांतरण होने पर नवीन नियम प्रभावशील हो जायेंगे।
30 वर्ष के लीजधारक को 15 वर्ष का भू-भाटक एक मुश्त जमा करने पर शेष 15 वर्ष के भू-भाटक से मुक्त रखा जाएगा।
लीजधारकों को 30 और 99 वर्ष की लीज अवधि का विकल्प दिया जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्रों के संधारण के लिये औद्योगिक संगठनों को संधारण शुल्क के साथ जिम्मेदारी सौंपी जाएगी अर्थात जहाँ औद्योगिक संघ इच्छुक है वहाँ शासन द्वारा संधारण शुल्क वसूल नहीं किया जायेगा बल्कि औद्योगिक संघ द्वारा वसूल किया जाकर स्वयं अपने क्षेत्र का संधारण किया जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक संघों को उनके कार्यालय के लिये जमीन आवंटित की जायेगी।
औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित भवन निर्माण का नियमितिकरण और पूर्व के शुल्क/प्रीमियम का सेटलमेंट करने के लिये वन टाईम सेटलमेंट की एक योजना लायी जाएगी।
मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नीति के मुख्यबिन्दु
मध्यप्रदेश के भीतर स्टार्ट अप और नवाचार संस्कृति विकसित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा ‘प्लग एंड प्ले’ के साथ इंक्यूबेशन सुविधा, प्रोत्साहन और अनुदान प्रदान करने बाबत पृथक से नीति बनायी गई है।
इसके अंतर्गत राज्य के भीतर इंक्यूबेटरों की स्थापना के लिए 50 लाख रूपये तक पूँजी अनुदान प्रदान किया जायेगा।
राज्य में स्टार्ट अप प्रतियोगिता को आयोजित करने के लिये वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इंक्यूबेटरों को आवर्ती खर्च हेतु संचालन सहायता, स्टाम्प शुल्क और फीस में छूट, सलाह आदि के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में स्टार्ट अप को प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा ब्याज अनुदान, लीज रेण्ट अनुदान, मार्केटिंग सहायता और पेटेंट/गुणवत्ता संवर्धन अनुदान दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश में चयनित स्टार्ट अप को राज्य शासन द्वारा स्थापित मध्यप्रदेश वेंचर केपिटल फण्ड से पूँजी प्रदान की जाएगी।
ग्वालियर में रू. 15 करोड़ की लागत से टेक्सटाईल इंक्यूबेशन सेण्टर की स्थापना की जाएगी।