Jan 2, 2019
धर्मेन्द्र शर्मा : मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार आने के बाद अब नगरीय निकायों के घोटालों की जांच शुरू हो गयी है, इसी कड़ी में कमलनाथ सरकार की रडार पर शिवराज सरकार की नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह का गृह जिला टारगेट पर है। ऐसे में जैसे ही विपक्ष ने ग्वालियर में करोड़ों रूपए के हेरफेर की शिकायत अपनी सरकार से की है। तुंरत सरकार ने भोपाल से नगरीय प्रशासन विभाग के आधिकारियों से ग्वालियर में चल रही बड़ी योजनाओं सहित आर्थिक सहायता से जुड़ी फाइलों को जब्त कर लिया है। ऐसे में मौजूदा मेयर कह रहे है कि ये बदलें की भावना से कार्रवाई की जा रही है।
ग्वालियर शहर की नगर निगम अब कमलनाथ सरकार की रड़ार पर है। सरकार से जुड़े अफसरों ने नगर निगम की आर्थिक सहायता, अमृत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, भवनों की मंजूरी, पार्किंग व्यवस्था और सडक़ निर्माण से जुड़ी फाइलों को शुरूआती दौर में जब्त कर लिया है। खबर ये है कि इन घोटालों की जांच के दौरान निगम के कुछ अधिकारी निशाने पर आ गए, जिनमें निगमायुक्त विनोद शर्मा, अमृत योजना के प्रभारी आरएलएस मौर्य, भवन अधिकारी महेंद्र अग्रवाल, प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभारी पवन सिंघल, पार्क अधीक्षक मुकेश बंसल, एपीएस जादौन आदि के नाम बताए जा रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष और इन घोटालों की शिकायत करने वाले कृ्ष्णराव दीक्षित कह रहे है कि ये घोटला कोई छोटा-मोटा घोटाला नही है बल्कि बड़े स्तर का घोटाला है।
प्रदेश में भाजपा की 15 साल के कार्यकाल में नगर निगम ग्वालियर द्वारा निर्माण कार्य, आर्थिक सहायता, एडीबी और अमृत योजना, नियम विरुद्ध बनाए गए भवन अधिकारी, पदोन्नति आदि में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की खबर स्वराज एक्सप्रेस भी दिखा चुका है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जिसको आधार बनाकर नगर निगम में विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से शिकायत कर जांच कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने ग्वालियर नगर निगम में हुई आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच करने के लिए भोपाल से नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग की एक तीन सदस्यीय टीम को भेजा था। अब ऐसे में ग्वालियर के मेयर कह रहे है, कमलनाथ सरकार बदलें की भावना से काम कर रही है, क्योंकि जिन कामो की जांच की जा रही है बे भोपाल में ई टेंडरिंग के माध्यम से कराए गए थे । ऐसे में भ्रष्ट्राचार का कोई सवाल नही है।
सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर नगर निगम के कई घोटालों से जुड़े निगम परिषद के संकल्प, आदेश आदि से जुड़ी फाइलें नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग की जांच टीम मंगाती रही। जिनको खंगालने के बाद पार्क के घोटाले से जुड़ी 329 फाइलों को जांच टीम मांगती रही। लेकिन वह फाइलें न मिलने का बहाना बनाकर उपलब्ध नहीं कराई गईं। आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितताओं से जुड़े मामले यानि निगम परिषद एवं महापौर परिषद के कार्यों, वित्तीय शक्तियों के प्रयोग, नवीन लेखा नियमों का अनुपालन, डबल एंट्री सिस्टम का क्रियान्वयन, ऑडिट आपत्तियों और स्मार्ट सिटी से जुड़े प्रोजेक्टों के काम जो निगम ने अपने पैसे और कर्मियों से कराए आदि के दस्तावेज फिलहाल जब्त करके टीम ले गयी है। अब ऐसे में देखना होगा। कमलनाथ की नई सरकार निगम के घोटलों में किसे सलाखों के पीछे पहुंचा पाती है।