Jan 16, 2020
संदेश पारे : हरदा भुआणा उत्सव हरदावासियों की स्मृति में एक अविस्मरणीय दिन के रूप में अंकित हो गया। जहाँ एक ओर प्रदेश के प्रख्यात भजन गायक प्रहलाद टिपाण्या ने कबीर गायन से वातावरण को भक्ति रंग में रंग दिया, वहीं दूसरी ओर देश के विभिन्न प्रांतों के लोकनृत्यों ने कार्यक्रम में विविधता में एकता की छटा बिखेरी।
मालवी शैली में संत कबीर के गाये भजन
नर्मदा तट पर जब प्रहलाद टिपाण्या ने अपनी विशिष्ट मालवी शैली में संत कबीर के भजन गाए तो वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक हो गया। दर्शकों में अद्भुत ऊर्जा का संचार इस प्रस्तुति के माध्यम से हुआ। जीवन के लिए अमूल्य शिक्षा भी कबीर भजनों के माध्यम से प्राप्त हुई। सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न अंचलों से आए कलाकारों ने भुआणा उत्सव में विविधता में एकता की छटा बिखेरी। राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। गुजरात की राठवा जनजाति के राठ नृत्य में कलाकारों के हैरतअंगेज करतबों ने दर्शकों को हतप्रभ कर दिया। भारिया जनजातीय सैताम नृत्य के माध्यम से विशिष्ट जनजातीय संस्कृति से दर्शक रूबरू हुए। सेंट मेरी स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किये गए बंगाली नृत्य ने सभी को दुर्गापूजा का स्मरण करवाया।
सुप्रिया जोशी के गीतों पर कांग्रेस नेताओं ने जताई आपत्ति
हरदा के हंडिया में भुआणा उत्सव के समापन समारोह में आयोजित संगीत संध्या में मुंबई से आई गायिका सुप्रिया जोशी के द्वारा गाए रंगीले गीतों को लेकर स्थानीय लोगों सहित कांग्रेस नेताओं ने भी आब्जेक्शन उठाया है। पूर्व विधायक दोगने ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन के द्वारा संस्कृति और भुआणा की सभ्यता से जुड़े इस आयोजन में फूहड़ता परोसकर इस पवित्र नदी के तट पर मकर संक्रांति पर जो कार्य किया है हम उसकी निंदा करते हैं। हम उसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे।