Jan 18, 2023
मध्यप्रदेश की झांकी दिल्ली से फिर बैरंग !
मप्र सरकार की 'गौरव गाथा' को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार भी 'जगह' नहीं मिल सकी है। यह लगातार तीसरा साल है जब मप्र को इस मामले में निराशा हाथ लगी है। गणतंत्र दिवस की परेड में हर राज्य अपनी उपलब्धियों की झांकी पेश करता है। इस झांकी को केंद्र सरकार के रक्षा विभाग की एक्सपर्ट टीम मंजूरी देती है। इस बार मप्र की ओर से महाकाल लोक की झांकी प्रस्तावित की गई थी लेकिन इसके दृश्यांकन में कमियां बताते हुए इसे खारिज कर दिया गया। जबकि उप्र सरकार की 'सरयू की दीवाली' वाली झांकी व उत्तराखंड की जागेश्वर मंदिर की झांकी को मंजूरी दे दी गई।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस बार रक्षा विभाग की समिति ने पहले दौर में चौदह राज्यों की झांकियों को मंजूरी दी थी, फिर उप्र, लद्दाख, त्रिपुरा, महाराष्ट्र की झांकी को भी 'वाइल्ड कार्ड एंट्री मिल गई। हालांकि मप्र सरकार की ओर से महाकाल लोक की झांकी को पहले से विचारार्थ लिया गया था लेकिन समिति की पांचवी बैठक तक इसमें कई कमियां सामने आने लगीं। कमेटी ने इसमें परिवर्तन करने, बैकग्राउंड म्यूजिक देने जैसे कई सुझाव दिये। सूत्रों की मानें तो मप्र की ओर से ताबड़तोड़ गुंदेचा बंधुओं से संगीत भी बनवाया गया, मगर जूरी ने पूरे आकल्पन को प्रभावशाली नहीं माना और इसे दौड़ से बाहर कर दिया। इस लेकर कई तरह की चर्चा भी हैं। दरअसल, मप्र सरकार ने पिछली बार जब 'आत्मनिर्भर मप्र की झांकी का प्रस्ताव दिया था तब भी उसे मंजूर नहीं किया गया था, तब माना गया कि 'आत्मनिर्भर नारा' केंद्र सरकार की खास इजाद है, इसलिये मप्र का प्रस्ताव नकारा गया। जबकि इस बार तो महाकाल लोक का लोकार्पण पीएम द्वारा किया गया था तथा मप्र सरकार इसकी दुनियाभर में ब्रांडिंग कर रही है।
समिति रही असहमत
सूत्रों का कहना है कि मप्र की ओर से भी अपनी झांकी को लेकर प्रभावी प्रस्तुति नहीं होने से विशेषज्ञों की समिति सहमत नहीं हो सकी। इसमें कलात्मकता का अभाव और मप्र के दिल्ली में पदस्थ अफसरों की पैरवी प्रभावी नहीं होना भी वजह मानी जा रही है। जबकि भाजपा व मोदी सरकार धार्मिक पर्यटन पर खास फोकस कर रही है। अब अफसर इस पर चुप्पी साधे हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दौरान राजपथ (अब कर्त्तव्यपथ) पर विभिन्न राज्यों की झांकियां सबसे बड़ा आकर्षण व राज्य की खास उपलब्धि के तौर पर ली जाती है, यह प्रकारांतर से राज्यों की ताकत व ब्रांडिंग का भी प्रतीक होती हैं। हालांकि पहले मप्र की झांकियां कई बार राजपथ पर रंग बिखेर चुकी हैं।