Aug 27, 2024
कीमतों में गिरावट का एक कारण उत्पादन में वृद्धि भी है. इस साल 60 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल यह 40 लाख मीट्रिक टन था.
फसल की गिरती कीमतों और खेती की बढ़ती लागत के कारण किसानों में नाराजगी है और वो मध्य प्रदेश में विरोध स्वरूप ट्रैक्टर या यहां तक कि हाथ से सोयाबीन की खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि वर्तमान में सोयाबीन का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है, जबकि पिछले साल यह 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास था. किसानों का आरोप है कि यह कीमत फसल उगाने की लागत को भी कवर नहीं कर रही है.
कम कीमत का एक कारण उत्पादन में वृद्धि भी है. इस साल 60 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल यह 40 लाख मीट्रिक टन था.
भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के कमल अंजना ने कहा, "किसान एमआरपी कम होने के कारण सोयाबीन की फसल नष्ट कर रहे हैं और इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. अब वे नुकसान कम करने के लिए लहसुन की बुआई करेंगे. पितृ पक्ष और दुर्गा पूजा के दौरान वे दिसंबर के अंत तक लहसुन की बुआई और कटाई करेंगे. उन्हें उम्मीद है कि लहसुन की अच्छी फसल होगी. रतलाम, मंदसौर और नीमच के किसानों ने भी खड़ी फसल नष्ट कर दी है." पूर्व कृषि निदेशक डॉ. जीएस कौशल ने कहा, "सरकार को सोयाबीन की देखभाल करनी चाहिए, जिसे राज्य में तेल की मांग को पूरा करने के लिए एमपी लाया गया था. दरअसल, सरकार तेल आयात करती है, लेकिन वह सोयाबीन किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार ने एमएसपी घोषित किया है, लेकिन सरकार इसे खरीदती नहीं है और वैसे भी एमएसपी भी पर्याप्त नहीं है."