Apr 22, 2025
जब दर्द शब्दों में नहीं, गाड़ियों पर लिखा जाने लगे…
भोपाल: सड़क पर खड़ी एक गाड़ी और उस पर लिखा एक वाक्य—“हर कोई आत्महत्या नहीं करता, कुछ लोग हत्या भी करवा देते”—ने समाज की गहरी सच्चाई को सबके सामने ला दिया है।
गाड़ी नहीं, पीड़ा की आवाज है यह स्लोगन
भोपाल की सड़कों पर चर्चा का केंद्र बनी इस गाड़ी पर लिखा एक वाक्य हर गुजरने वाले को ठहरने और सोचने पर मजबूर कर देता है। यह स्लोगन एक आम आदमी की असामान्य पीड़ा की कहानी कहता है। गाड़ी के मालिक मृदुल चौरसिया ने बताया कि उनके ससुराल पक्ष ने उन पर 11 से ज्यादा केस दर्ज करवा दिए, जिससे वो टूट गए थे और आत्महत्या जैसा कदम उठाने की कगार पर पहुँच गए थे।
“मैं नहीं टूटा, अब औरों को बचाना चाहता हूँ”
मृदुल ने कहा कि वे बुरी तरह मानसिक तनाव में थे लेकिन खुद को संभाला और अब समाज को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। उनका उद्देश्य है कि कोई और युवा झूठे आरोपों और सामाजिक दबाव के चलते अपनी जान न गंवाए।
पुरुषों की चुप्पी बन रही जानलेवा
समाज में जब घरेलू हिंसा की बात होती है तो केंद्र में महिलाएं होती हैं, लेकिन कई पुरुष भी भावनात्मक शोषण, झूठे मुकदमों और सामाजिक तिरस्कार का शिकार होते हैं। वे शर्म के कारण चुप रहते हैं और यही चुप्पी कई बार उन्हें मौत की ओर ले जाती है।
आंकड़े भी कर रहे हैं सच बयां
NCRB के मुताबिक, आत्महत्या करने वालों में करीब 70% पुरुष होते हैं। इनमें से अधिकतर आर्थिक, सामाजिक या वैवाहिक तनावों से जूझ रहे होते हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कितनी घातक हो सकती है।
अब वक्त है—सुनने का, समझने का
मृदुल जैसे लोग अब समाज को आईना दिखा रहे हैं। यह गाड़ी सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि उन हजारों पुरुषों की आवाज है जो अपने दर्द को शब्द नहीं दे पाते। इस पहल के ज़रिए मृदुल ने एक बहस की शुरुआत कर दी है—क्या हम पुरुषों के मानसिक संघर्ष को गंभीरता से ले रहे हैं?