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17 साल बाद होगा पौधरोपण नीति में बदलाव, 50% भी जीवित नहीं रह पा रहे पौधे

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Sep 6, 2022

बढ़ती जनसंख्या के चलते देश में हर साल बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटा जा रहा है। इसी समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार 17 साल बाद अपने पौधारोपण की नीति में बदलाव करने जा रही है, ताकि जंगल हरे-भरे हो सकें। इसके लिए सरकार पौधे लगाने के लिए जगह तलाश रही है। साथ ही बगानों में किस तरह के पौधे लगाए जाने चाहिए और उनके देखभाल के लिए भी विचार कर रही है।  

50% भी जीवित नहीं रह रहे पौधे
प्रदेश के वन क्षेत्रों में हर साल एक से डेढ़ करोड़ पौधे लगाए जा रहे है, लेकिन इनमें से 50 प्रतिशत भी जीवित नहीं बच पा रहे हैं। बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग और जनसंख्या में वृद्धि के चलते पौधे अपना अस्तित्व खोते जा रहे है। रिपोर्ट्स की मानें तो रोपण के बाद 70 से 75 परसेंट पौधों के जीवित रहने को सफल माना जाता है, लेकिन ऐज के समय में ऐसा हो नहीं रहा। ऐसे में पौधारोपण को लेकर ग्रामीणों में चिंता साफ देखी जा सकती है।

प्रदेश के युवाओं से मुख्यमंत्री ने किया आग्रह
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के मौके पर प्रदेश की जनता को बधाई देते हुअ कहा था कि हर महीने प्रदेश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जायेगा। धामी का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयासों की जरूरत है। भविष्य में लोगों को साफ हवा, पानी मिल सके ये जिम्मेदारी सभी की है।  उन्होंने युवाओं से विशेष आग्रह करते हुए पौधारोपण एवं स्वच्छता कार्यक्रमों पर ज्यादा से ज्यादा योगदान देने की बात कही थी। इसके अलावा धामी ने कहा थी कि हरेला पर्व पर प्रदेश में 15 लाख पौधे लगाए जायेंगे, जिनमें 50 प्रतिशत फलदार पौधे होंगे।

ANR नीति को दिया जाएगा बढ़ावा
रिपोर्ट्स की मानें तो वृक्षारोपण नीति में इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है कि जंगलों को प्राकृतिक रूप से पनपने के दिया जाए। साथ ही ANR को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें स्पेसिफिक इलाके में आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी जाती है। जिसके बाद जमीन में मौजूद जड़ों और बीज को उगाने के लिए जरूरी चीजें अपनाई जाती है। इससे प्रकृति को नेचुरल तरीके से पनपने में सहायता मिलती है।