May 14, 2025
14 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई। इसी के साथ रामकृष्ण गवई 23 दिसंबर 2025 तक के लिए भारत के नए मुख्य न्यायाधीश बन गए है। गवई ने 6 महीने के लिए यह पद संभाला है।संवैधानिक नियमों के अनुसार दिसंबर में गवई 65 साल की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति गवई के शपथ समारोह में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई कैबिनेट मंत्री उपस्थित रहें।
16 अप्रैल को संजीव खन्ना ने की थी न्यायमूर्ति गवई के नाम की सिफारिश
भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश तात्कालिन चीफ जस्टिस करता है। जिसके तहर 16 अप्रैल को संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति बी.आर गवई के नाम की सिफारिश की थी। जिन्हें अनुच्छेद 124 (2) के तहर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण कराया। इसी के साथ देश को पहला बौध्द संप्रदाय का CJI मिला।
कौन है मुख्य न्यायाधीश बी.आर गवई

न्यायमूर्ति गवई मूलत महाराष्ट्र के है। इनका जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला स्नातक और विधि स्नातक (B.A.LL.B.) की डिग्री ली है। 1985 से गवई ने वकालत के क्षेत्र में कदम रखा। और बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में प्रैक्टिस की शुरू की। न्यायमूर्ति गवई ने 2003 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया और 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने। 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
न्यायाधीश गवई ने लिए कई एतिहासिक फैसले
न्यायमूर्ति बी.आर गवई ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मामलों में निर्णय दिए हैं। जिसमेंनोटबंदी (2016) को वैध ठहराना, अनुच्छेद 370 की समाप्ति (2023) को वैध ठहराना, चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देना और तमिलनाडु सरकार के वन्नियार समुदाय के लिए 10.5% आरक्षण को पुराने आंकड़ों पर निर्भरता के कारण असंवैधानिक करार देना शामिल है । साथ ही 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुत गांधी की सजा पर रोक लगाई और 2002 गोधरा दंगों से जुड़े केस में तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत देने जैसे मामलों में फैलसा सुनाया।