May 31, 2021
कोरोना काल में भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जारी रहेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोजेक्ट के खिलाफ लगाई गई अर्जी को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा एक अहम, आवश्यक राष्ट्रीय परियोजना है । इस याचिका पर चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने फैसला सुनाया। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए विपक्ष ने सरकार को घेरा था और निर्माण कार्य बंद करने की मांग की थी।
क्या है पूरा मामला ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को लेकर विरोध जारी है। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल कर दिया है ताकि समय पर निर्माण कार्य पूरा हो सके। इसको लेकर विपक्षी दल सरकार को घेर रहे हैं। कोरोना महामारी, लॉकडाउन बीच भी निर्माण कार्य चलते रहने से इस प्रोजेक्ट का विरोध और बढ़ गया है।
कांग्रेस नेता का बयान
इसको लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा को आपराधिक बर्बादी करार दिया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि लोगों की जिंदगी को केंद्र में रखिए, न कि नया घर पाने के लिए अपनी जिद।
पिछली सुनवाई में याचिका को बताया बेबुनियाद
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिए सोहेल हाशमी और अन्या मल्होत्रा द्वारा अधिवक्ता सिद्दार्थ लूथरा के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर 12 मई को सुनवाई हुई। इसी सुनवाई से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दायर कर इस याचिका को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि ये प्रोजेक्ट में बाधा डालने का तरीका है। याचिकाकर्ता ने इसी को आधार बनाकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की है।
सरकार का तर्क
सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि मौजूद बिल्डिंग 93 साल पुरानी है, जो नई बिल्डिंग बनेगी वो भारत की आकांक्षाओं को दर्शाएगी। साथ ही 2026 में लोकसभा सीटों के परिसीमन के बाद सांसदों की संख्या बढ़ सकती है जिसके लिए संसद में ज्यादा जगह की जरूरत होगी।