Apr 26, 2023
एक बयान में, नई दिल्ली स्थित एसोसिएशन ने कहा कि ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के आरोप के दोषी को कम जघन्य श्रेणी में रिहा नहीं किया जा सकता है .
सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने मंगलवार को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी.कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को बंदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव कर रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त की.
कौन है आनंद मोहन सिंह ?
सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने मंगलवार को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी.कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को बंदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव कर रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त की.आनंद मोहन सिंह एक युवा आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा था , जो वर्तमान तेलंगाना के महबूबनगर से थे. कृष्णैया 1994 में अपनी हत्या के समय गोपालगंज के जिलाधिकारी थे.आनंद मोहन ने कथित तौर पर अपने सहयोगी छोटन शुक्ला, जो एक गैंगस्टर भी था, के अंतिम संस्कार के दौरान अधिकारी को मारने के लिए एक भीड़ को उकसाया। 2007 में एक अदालत ने आनंद मोहन सिंह को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि, एक साल बाद, निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने पर पटना उच्च न्यायालय ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
आनंद मोहन सिंह का राजनीतिक कनेक्शन
आनंद मोहन सिंह 1990 से 1995 तक बिहार विधान सभा का सदस्य रहा। जेल में रहते हुए 1996 में शिवहर लोकसभा सीट से सांसद भी चुना गया । वो उस समय समाजवादी पार्टी का सदस्य था. कभी कोशी क्षेत्र मे उसका दबदबा था.
.एक IAS अफसर की हत्या के आरोपी को रिहा करने की खबर आते ही अब विवाद भी बढ़ता दिख रहा है.आनंद मोहन सिंह की रिहाई ने राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया है, आलोचकों ने इसे दलित विरोधी करार दिया है. बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल ही में ट्वीट किया कि महबूबनगर, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के एक गरीब दलित समुदाय के बेहद ईमानदार आईएएस अधिकारी की निर्मम हत्या के मामले में आनंद मोहन को रिहा करने के लिए बिहार सरकार नियम बदलने की तैयारी कर रही है.








