Jun 20, 2021
दुनियाभर में शरणार्थियों के साहस और शक्ति को सम्मानित करने के लिए हर साल 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र इस दिन को उन शरणार्थियों को सम्मानित करने के लिए मनाता है, जिन्हें उनके घरों से बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से ये दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि नए देशों में शरणार्थियों के लिए समझ और सहानुभूति का निर्माण किया जा सके। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के अंत तक 8.24 करोड़ लोग जबरन विस्थापित किए गए।
इन लोगों के विस्थापन के पीछे उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकारों का उल्लंघन या सार्वजनिक व्यवस्थाओं को गंभीर रूप से परेशान करने वाली घटनाएं शामिल हैं।संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में तुर्की में 36 लाख लोग रिफ्यूजी हैं, इसके बाद कोलंबिया में 18 लाख लोग रिफ्यूजी के तौर पर रह रहे हैं।
क्या है 2021 की थीम
साल 2021 के लिए संयुक्त राष्ट्र ने टुगैदर वी हील, लर्न एंड शाइन यानि साथ रह कर हम जख्म भरकर सीखेंगे और चमकेंगे. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने इस बात का अहसास दिलाया है कि हम केवल साथ रह कर ही सफल हो सकते हैं. तमाम चुनौतियों के बाद भी शरणार्थियों ने भी दुनिया भर में स्वास्थ देखरेक की तंत्र में भागीदारी कर अपना योगदान दिया है.
वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का इतिहास
सबसे पहले वर्ल्ड रिफ्यूजी डे 20 जून, 2001 के दिन मनाया गया था। 1951 के रिफ्यूजी समझौते की 50वीं वर्षगांठ पर इस दिन का जश्न मनाया गया था।
वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का महत्व
विश्व शरणार्थी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि इन लोगों को विश्व में पहचान मिल सके और इनकी मदद के लिए राजनैतिक इच्छा जाग सके, ताकि ये लोग दूसरे देशों में जाकर खुद के जीवन को दोबारा बना सके। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के तौर पर चिन्हित किया।








