Dec 11, 2022
सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ रविवार को हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार अस्तित्व में आई। सुखविंदर कांग्रेस में कई पदों पर रहने के बाद सीएम पद पर पहुंचे हैं। इस मौके पर मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान कांग्रेस के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। हिमाचल के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की मां संसार देवी भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं। जब राहुल गांधी को पता चला कि वह मंच के सामने बैठी हैं, तो राहुल ने उन्हें मंच पर बुलाया और उनसे मुलाकात की। प्रियंका गांधी ने सुक्खू की मां को गले लगाया और उन्हें मंच पर बिठाया।
जानें सुखविंदर सिंह सुक्खू की कहानी
19 साल पहले पहली बार बने थे विधायक
सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने शिमला के ऐतिहासिक रिज ग्राउंड में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे नादौन सीट से जीते हैं। सुक्खू को राजनीति में आने के बाद ढाई दशक से भी कम समय में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिली तो इसकी वजह अपने कैडर के बीच उनकी लोकप्रियता और टाइम मैनेजमेंट स्किल को कहा जा सकता है। साल 2003 में वे पहली बार विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2007 और 2017 में विधान सभा में नादौन सीट का प्रतिनिधित्व किया। हाल ही में हुए चुनाव में वे चौथी बार विधायक चुने गए हैं। 2013 से 2019 के बीच सुक्खू हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे।
पार्षद से सीएम पद तक का सफर
सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को हुआ था। कानून की डिग्री रखने वाले सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने छात्र राजनीति में अपना राजनीतिक सफर तब शुरू किया जब वह शिमला के सरकारी कॉलेज संजौली में पढ़ते थे। 1989 में वे एनएसयूआई (NSUI) के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके बाद वे युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और 1998 से 2008 तक राज्य युवा कांग्रेस का प्रभार संभाला। वह शिमला नगर निगम में दो बार पार्षद भी चुने गए थे।
दोनों परिवारों के प्रभाव के विभिन्न क्षेत्र
जहां प्रतिभा सिंह परिवार का शिमला और राज्य के ऊपरी हिस्सों में प्रभाव है, वहीं सुक्खू हमारीपुर के नादौन से तीन बार के विधायक हैं। नादौन हमीरपुर में पड़ता है, इसलिए इसका प्रभाव हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा में माना जाता है। उन्होंने 1980 के दशक के अंत में NSUI राज्य इकाई का नेतृत्व किया। वह 2000 के दशक में प्रदेश युवा कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
दिवंगत वीरभद्र सिंह के शासन में नहीं बन सके मंत्री
शाही परिवार से आने वाले सुक्खू पार्टी अध्यक्ष रहते हुए कभी दिवंगत वीरभद्र सिंह के शासन में मंत्री नहीं बन सके। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर पहुंचने के बावजूद उन्हें कभी मंत्री की कुर्सी नहीं मिली। सुक्खू और वीरभद्र घोर विरोधी थे। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच कड़वाहट और दूरियां इस हद तक बढ़ गई थीं कि दोनों के बीच लगभग कोई बातचीत ही नहीं हुई थी। वीरभद्र सिंह के इस दुनिया में ना रहने के बाद भी, सुक्खू और राज परिवार के बीच संबंध कभी आसान नहीं रहे। हालांकि शपथ ग्रहण समारोह से पहले दोनों के बीच एकता का संदेश देने की कोशिश की गई। जहां एक ओर सुक्खू की मुलाकात प्रतिभा सिंह से हुई। वहीं, रिज मैदान के मंच पर सुक्खू की दोनों बेटियों ने भी प्रतिभा सिंह को गले लगाया।
पेशे से वकील हैं और चार बार रह चुके हैं विधायक
लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश में सीएम की कुर्सी मिल ही गई। कभी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सुक्खू को प्रदेश कांग्रेस में बड़ा चेहरा माना जाता है। सुक्खू ने 2013 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस का प्रभार संभाला था, जबकि इससे पहले वह प्रदेश में महासचिव भी रह चुके हैं। उनके पास अच्छा सांगठनिक अनुभव है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता हिमाचल प्रदेश रोडवेज में बस ड्राइवर थे। अब उनके हाथ में हिमाचल प्रदेश की बागडोर है। वह पेशे से वकील हैं और चार बार विधायक रह चुके हैं।








