Dec 15, 2022
भारत के लिये चीन सदैव ही मुसीबत, तनाव लेकर आता है। अरुणाचल प्रदेश के याग्त्से में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अतिक्रमण का प्रयास किया है। इसने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उस संभावना को और दूर कर दिया है जो गाहे बगाहे कही जाती है। हालांकि, जैसा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को बताया, सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने बहादुरी का परिचय देते हुए उन चीनी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया। भारतीय क्षेत्र में घुसने की उनकी कोशिश नाकाम कर दी गई।
इस क्रम में दोनों तरफ के कुछ सैनिक घायल जरूर हुए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि किसी की जान नहीं गई और न ही कोई गंभीर रूप से जख्मी है। मगर इससे इस तथ्य की गंभीरता कम नहीं हो जाती कि चीन ने एक बार फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है। यह प्रयास ऐसे समय हुआ है, जब कुछ ही दिन पहले चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास पर एतराज किया था। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि इसी महीने भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण की है, जिसके एक साल के कार्यकाल को अधिक से अधिक सार्थक बनाने की कोशिशों में वह लगा हुआ है। G-20 के ही शिखर सम्मेलन के दौरान बाली में पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात भी हुई थी। हालांकि दोनों के बीच कोई बैठक या बातचीत नहीं हुई, लेकिन दोनों गर्मजोशी से जरूर मिले थे। तीन महीना पहले यानी इसी सितंबर में दोनों देश पूर्वी लद्दाख के गोगरा हॉटस्प्रिंग इलाके से अपने सैनिकों को पीछे लेने पर सहमत हुए थे, जिसे मई 2020 से शुरू हुई कमांडर लेवल बातचीत में उठा आखिरी विवादित बिंदु कहा गया।
साफ है कि गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों पक्षों के रिश्ते सामान्य भले न हुए हों, लेकिन लगातार बातचीत के जरिए असहमति और विवाद के बिंदुओं पर न्यूनतम सहमति बनाने की कोशिशे काफी हद तक कामयाब हो रही थीं। ऐसे में अचानक हुई यह झड़प न केवल चौंकाने वाली है बल्कि इसके पीछे का मकसद समझना भी मुश्किल है। हालांकि जानकारों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के यात्सी इलाके में एलएसी को लेकर दोनों देशों की समझ में अंतर है और इसलिए पहले भी वहां ऐसी झड़पें हो चुकी हैं।
इस बार झड़प के ठीक बाद जिस तत्परता से फ्लैग मीटिंग करके मसले को सुलझाया गया, वह पॉजिटिव संकेत है। दोनों देशों के रिश्तों में पॉजिटिविटी के इस फैक्टर के बने रहने की कामना करते हुए भी इतना तो कहना ही होगा कि इस झड़प ने सीमा पर विश्वास का माहौल बनाने की कोशिशों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे रिश्तों के सामान्य होने की प्रक्रिया पहले से थोड़ी और मुश्किल हो गई है। इसलिये भारत को भी काफी ठोस रुख चीन के प्रति अपनाना ही होगा। क्योंकि हाल के बरसों में उसने कई बार ऐसे दुस्साहस किये हैं कि पिछले सारे प्रयासों और तमाम कवायदों पर पानी फिरता रहा है।
ताजा मामले के बाद भी भारत में सियासी आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं तो सीमा पर भारतीय सैनिक व वायुसेना को नया मोर्चा लेना पड़ रहा है। भारत ने चीन पर दबाव बनाने के लिये अपने कई फाइटर जेट व ड्रोन आदि तैनात कर दिये हैं तथा बड़ा युध्दाभ्यास करने की तैयारी की गई है। उधर अमेरिका ने भी चीन की आलोचना की है और भारत का समर्थन किया है। मगर चीन इन सबसे भी मानेगा यह सिर्फ उम्मीद ही की जा सकती है।
समझौते को लेकर चीन को देना होगा अल्टीमेटम
मेजर जनरल विशंभर दयाल ने एक चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि चीन किसी समझौते को मानता नहीं है। यदि हमारा दुश्मन इस किस्म का है तो हमें भी अपने रवैये में बदलाव करना होगा। भारत की ओर से भी चीन को यह बताने की जरूरत है कि 1993 और 1996 का जो समझौता है यदि यह हरकत हुई तो वह इसको नहीं मानेगा। पिछले 5-6 साल से चीन ऐसे ही कर रहा है। इस समझौते को यदि भारत नहीं मानेगा तो सेना अपने तरीके से निपटेगी उस वक्त चीन एक कदम आगे नहीं बढ़ेगा। इसको रोकने के लिए एक तरीका है कि चीन को अल्टीमेटम देना होगा।
वहीं एक दूसरे रक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि अरुणाचल को लेकर चीन क्या सोच रहा है इस बात को ध्यान में रखकर भारत भी तैयारी कर रहा है। भारतीय सेना की इस वक्त अलग-अलग टुकड़िया वहां है। सेना के लिए सड़क का निर्माण हो रहा है यह बात चीन को चुभ रही है। भारतीय सेना नक्शे के साथ पेट्रोलिंग करती है लेकिन चीन का नक्शा बदलता रहता है। 300 सैनिक आते हैं तो यह उनकी सोची समझी चाल है और इरादा गलत है। फ्लैग मीटिंग हो गई लेकिन मामला खत्म हुआ है यह नहीं कहा नहीं जा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के पास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताजा संघर्ष के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों का अमेरिका ने समर्थन किया है। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेंगे। भारत ने जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया हम उसके प्रयासों का पूरा समर्थन करते हैं। पैट राइडर ने आगे कहा है कि अमेरिका, भारत-चीन सीमा पर चल रही गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया जानती है कि चीन किस तरह से तानाशाही कर सीमा पर अपने बलों को इकट्ठा कर तथाकथित सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
पैट राइडर ने आगे कहा कि चीन खुद को मुखर करने की कोशिश में अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों के खिलाफ भी आक्रामक हो रहा है। उन्होंने कहा कि एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के अलावा अन्य देशों के लिए भी बड़ी चुनौती बन रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी चिंता का विषय है।








