Aug 31, 2025
संसद भवन में स्थापित होगा भगवान जगन्नाथ के रथ का पवित्र चक्र
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भगवान जगन्नाथ के रथ के पवित्र चक्र को संसद भवन में स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक कदम देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संसद से जोड़ेगा। श्रीमंदिर प्रशासन ने इसे गौरवपूर्ण क्षण बताया। पुरी में दर्शन के दौरान बिड़ला ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई, जो ओडिशा की कालातीत परंपरा को राष्ट्रीय मंच पर ले जाएगा।
प्रस्ताव को मिली मंजूरी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हाल ही में पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए और वहां श्रीमंदिर प्रशासन के प्रस्ताव पर सहमति जताई। इस प्रस्ताव के तहत, रथ यात्रा में उपयोग होने वाले तीन रथों—नंदीघोष, दर्पदलन और तालध्वज—के पवित्र चक्रों में से एक को संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। यह कदम न केवल ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को बल्कि देश की आध्यात्मिक एकता को भी दर्शाएगा। श्रीमंदिर प्रशासन ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष के प्रति आभार व्यक्त किया।
सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है, और इसके रथों का निर्माण हर साल नई लकड़ियों से किया जाता है। रथ यात्रा के बाद रथों को खंडित कर उनके कुछ हिस्सों को सुरक्षित रखा जाता है। इनमें से पवित्र चक्र अब संसद भवन में स्थापित होगा, जो ओडिशा की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनेगा। यह कदम देश की संसद को भगवान जगन्नाथ की महिमा से जोड़ने वाला एक अनूठा प्रयास है।
रथ यात्रा की महत्ता
रथ यात्रा ओडिशा की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होते हैं। नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ), दर्पदलन (देवी सुभद्रा) और तालध्वज (भगवान बलभद्र) के रथों का निर्माण पारंपरिक तरीकों से किया जाता है। रथों के खंडित होने के बाद उनके कुछ हिस्सों को भक्तों के बीच नीलाम किया जाता है, लेकिन इस बार चक्र को संसद में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
देश भर के लिए गौरव का क्षण
यह पहल न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। संसद भवन, जो देश की लोकतांत्रिक शक्ति का प्रतीक है, अब भगवान जगन्नाथ की आध्यात्मिक शक्ति से भी जुड़ेगा। इस अवसर पर पुरी के सांसद, केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस क्षण को और भी खास बना दिया। यह कदम भारतीय संस्कृति और आस्था को वैश्विक मंच पर और मजबूती प्रदान करेगा।








