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50 हजार लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट, रेलवे-उत्तराखंड सरकार को भेजा नोटिस 

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Jan 5, 2023

हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा गफूर बस्ती, हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि पर हुए अतिक्रमण को तोड़ने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद से ही लोग अपने घरों को बचाने की हर संभव कोशिश में लगे हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में 78 एकड़ रेलवे जमीन से 4000 परिवारों को खाली करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब 4000 परिवारों के मकान नहीं तोड़े जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं हटा सकते। उन्हें हटाने के लिए केवल एक सप्ताह बहुत कम है। उनके पुनर्वास पर पहले विचार किया जाना चाहिए। बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस। ओकनी बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि प्रभावित लोगों का पक्ष पहले नहीं सुना गया और फिर वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। हाईकोर्ट ने रेलवे स्पेशल एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया।

एक हफ्ते से भी कम समय, अगली सुनवाई 7 फरवरी को: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बात सही है कि रेलवे वहां सुविधा विकसित करना चाहता है। लेकिन एक हफ्ते में 50 हजार लोगों को ऐसे नहीं हटाया जा सकता। उनके पुनर्वास पर पहले विचार किया जाना चाहिए। अब इस मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता मौजूद रहे। कांग्रेस ने इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, हल्दवान विधायक सुमित हृदयेश, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, विजय सारस्वत बुधवार को दिल्ली पहुंचे।

क्या है हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद?
विवाद उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुआ था। इस क्रम में रेलवे स्टेशन से 2।19 किमी तक अतिक्रमण हटाने का निर्णय लिया गया। अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन किमी 82।900 से किमी 80।710 के बीच रेलवे भूमि पर सभी अनाधिकृत अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाएगा।