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जोशीमठ से छेड़छाड़ हुई तो तबाही मच जाएगी, 47 साल पहले दी गई थी चेतावनी

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Jan 7, 2023

उत्तराखंड के जोशीमठ में कई जगहों पर धरती गिर रही है। सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि कभी भी मकान गिर सकते हैं। जोशीमठ के लोग दहशत में हैं। इस घटना पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों के पर्यावरणविदों की नजर है। लोग केवल एक ही सवाल पूछते हैं कि यहां धरती क्यों धंस रही है?

जोशीमठ में ही एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल में निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि इस टनल के कारण जोशीमठ में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन NTPC ने तपोवन विष्णुगार्ड प्रोजेक्ट में ब्लास्टिंग की जगह TVM मशीन का इस्तेमाल किया ताकि ब्लास्टिंग से होने वाले नुकसान का असर जोशीमठ पर न पड़े। जब तक टीवीएम मशीन ने सुरंग का निर्माण जारी रखा, तब तक काम सुचारू रूप से चलता रहा, लेकिन 2009 में 11 किमी सुरंग ढह गई। काम पूरा होने के बाद टीवीएम खुद ही जमीन में धंस जाता है।

TVM पहली बार 24 सितंबर 2009 को प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 मार्च 2011 को फिर से इस मशीन से काम शुरू हुआ। 1 फरवरी 2012 को फिर से बंद कर दिया गया, 16 अक्टूबर 2012 को फिर से खोला गया लेकिन 24 अक्टूबर 2012 को फिर से बंद कर दिया गया। इसके बाद 21 जनवरी 2020 को 5 दिनों तक टीवीएम चला। उन्होंने करीब 20 मीटर सुरंग काटी, जो तब से बंद है। इसके अलावा एनटीपीसी परियोजना के अलावा जोशीमठ में हेलंग मारवाड़ी बाईपास का भी विरोध किया जा रहा है।

जोशीमठ हिमोढ़ पर स्थित होने के कारण अत्यधिक संवेदनशील है

दरअसल, 1976 में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ की जड़ों से छेड़छाड़ जोशीमठ के लिए खतरा साबित होगी। इस आयोग द्वारा जोशीमठ का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जोशीमठ एक मोराइन (ग्लेशियर मिट्टी) में स्थित था, जिसे बहुत ही कमजोर माना जाता था। रिपोर्ट में जोशीमठ की जड़ों से जुड़ी चट्टानों और पत्थरों को बिल्कुल भी परेशान न करने को कहा गया है। साथ ही यहां चल रहे निर्माण को सीमित दायरे में समेटने की गुहार लगाई थी, लेकिन आयोग की रिपोर्ट पर अमल नहीं हो सका।

मिश्रा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये सुझाव दिए हैं

70 के दशक में चमोली में सबसे भयानक आपदा जोशीमठ में भूस्खलन के बाद बेलाकुची बाढ़ है। चमोली तब यूपी का हिस्सा था। भूस्खलन की घटनाएं सामने आने के बाद यूपी सरकार ने गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा को कमीशन बनाकर सर्वे करने का आदेश दिया था। 1975 में गढ़वाल आयुक्त मुकेश मिश्र ने एक आयोग का गठन किया। इसे मिश्रा आयोग कहा जाता था। इसमें भूवैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रशासन के कई अधिकारी शामिल थे। एक साल बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ एक रेतीली चट्टान पर स्थित है। जोशीमठ की तलहटी में कोई बड़ा काम नहीं किया जा सकता है। इस रिपोर्ट में ब्लास्ट, माइनिंग सभी बातों का जिक्र किया गया था। कहा जाता था कि कोई बड़ा निर्माण या खनन नहीं किया जाना चाहिए और यहां बहने वाली धाराओं की रक्षा के लिए अलकनंदा नदी के किनारे एक सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिसका परिणाम आज सामने आया है।