Oct 10, 2024
Navratri 2024 : भारत में माता के कई प्रसिध्द मंदिर है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देवी मां पहाड़ों पर ही क्यों विराजती है. भारत में ज्यादातर देवियों के मंदिर पहाड़ों की ऊंचाइयों पर बने है. आखिर क्यों देवियों के सभी मंदिर पहाड़ों पर होते हैं. चलिए जानते हैं...
भारत में देवियों को आदिशक्ति का रूप माना जाता हैं. और ऊंचे पहाड़ उनकी शक्ति का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि देवियों के 51 शक्तिपीठों के दर्शन करने से भक्तों के पाप धुल जाते हैं. और उन्हें मोक्ष की प्राप्ती होती है. कहा जाता है कि ऊंचे पहाड़ों पर शांती और एकांत वातावरण मिलता है. जिससे मन शांत रहता है. जो आध्यात्मिक साधना के लिए अनुकूल माने जाते हैं.
क्या है धार्मिक मान्यता
पहाड़ो को धरती का मुकुट माना जाता है. धरती पंचतत्वों जल, वायु, अग्नि, भूमि और आकाश से मिल कर बनी है. कहा जाता है पाचों तत्व भूमी के देवता हैं.भगवान शिव वायु के देवता है, विष्णु जल के देवता है, गणेश जी आकाश के देवता है, सुर्य अग्नि के देवता है. माता दुर्गा शक्ति का रूप है, जो सब से सर्वोपरि है.
क्या आप जानते है मां पार्वती पर्वतराज हिमालय की पुत्री है
माता पार्वती को देवी उमा भी कहा जाता है, जो की पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. पहाड़ों पर माता के मंदिर होने का मुख्य कारण ये है कि देवी का जन्म यहीं हुआ था. इस स्थान को देव भूमि भी कहते हैं, इसका कारण यह भी है कि इस स्थान को भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है.
माता जी के प्रसिध्द मंदिर
माता वैष्णो देवी
भारत की प्रसिध्द मां वैष्णो देवी वैष्णवी के रूप में जानी जाती हैं.यह मदिंर जम्मू जिले के कटरा नगर में त्रिकुटा पहाडिंयों पर है. ये मदिंर 5200 फीट की ऊचांई पर स्थित है. प्राचीन मान्यतओं के अनुसार, माता वैष्णो देवी के भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया.
नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है. नैनी झील के उत्तरी किनारे पर माता नैनी देवी का मंदिर स्थित है. यहां देवी सती का शक्ति रूप है.
मां शारदा मंदिर मैहर
मैहर माता मदिंर मध्यप्रदेश के सतना जिले के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है. इस मदिंर में दर्थन करने के लिए भक्तों को 1,063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है.
पावागढ़ शक्तिपीठ
हिंदु धर्म के 51 शक्तिपीठों में सबसे प्राचीन पावागढ़ शक्तिपीठ है जो गुजरात के चंपारण के पास स्थित है, काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर शक्तिपीठों में से एक है.
ज्वाला देवी मंदिर
ज्वाला देवी मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है. उन्हें जोता वाली और नगरकोट भी कहा जाता है. कहा जाता है कि पांडु पुत्रों के दवारा ज्वाला देवी की खोज की गई थी. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी.