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भोपाल की आजादी के हुए 75 साल पूरे, धूमधाम से नहीं मना पाए भोपालवासी उत्स

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Jun 1, 2024

भोपाल में 1 जून यानी आज के दिन भोपाल विलीनीकरण दिवस की 75 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है,जिसमें सुबह 9 बजे पुराने शहर के भोपाल गेट पर झंडावंदन किया गया। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा के प्रयासों पर भोपाल के विलीनीकरण दिवस पर 1 जून को स्थाई सरकारी अवकाश घोषित किया है।भोपाल में विलीनीकरण उत्सव की महत्वता को पिछले 75 वर्षों से देखा जा रहा है।जिसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और भोपाल के द्वारा पाई आजादी का जश्न मनाया जाता है।इस बार के विलीनीकरण महोत्सव का भोपाल निवासियों को बेसबरी से इंतजार था,जिसको लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इस बार बड़ी धूमधाम से नहीं मनाया गया।

विलीनीकरण महोत्सव मनाने का कारण

भारत को अंग्रेजों से आजादी 14 अगस्त 1947 की आधी रात यानी 15 अगस्त 1947 को मिली।जिस दिन भारत में ब्रिटिश राज्य से मुक्त आजाद भारत का झंडा पंडित जवाहरलाल ने लाल किला पर फेराया था।जहाँ पूरा देश भारत की आजादी का जश्न मना रहा था वहीं दूजी ओर भारत में कई ऐसे राज्य थे जो अब भी आजादी के लिए लड़ रहे थे,जहां अब भी लोग आजाद भारत में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहे थे।उन्हीं में एक भोपाल भी था।

15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी भोपाल को 658 दिन बाद 1 जून 1949 को मिल सकी।आपको बता दें कि भोपाल में नवाबी शासन के चलते आजादी नहीं मिल सकी थी,लेकिन स्वतंत्रता संग्रमियों की मेहनत, लगभग दो साल के आंदोलन, तमाम कुर्बानियों और इस दौरान भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू तथा गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के भोपाल के भा्रत संघ में विलय के प्रयासों के कारण भोपाल को 227 साल के नवाबी शासन से आजादी मिली।दरअसल ,भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे, वह प्रिंसली स्टेट जूनागढ़, हैदराबाद, त्रावणकोर के साथ मिलकर एक तीसरे देश की परिकल्पना करते थे। लेकिन नेहरू और सरदार पटेल के आगे उनकी एक न चली और भोपाल रियासत को भारत में विलय करना पड़ा.

भोपाल के भारत में 1 जून 1949 को विलीनीकरण के चलते हर वर्ष बड़े ही हर्ष उल्लास से भोपालवासी विलीनीकरण उत्सव मनाते हैं।साल 2023 में इस उत्सव को गौरव दिवस के तौर पर मनाया गया था,जिसमें वीआईपी रोड पर गौंरव दौड़ को आयोजन किया गया था।पिछले साल इस उत्सव को बड़ी धूमधाम मनाया गया जिसमें भोपाल वासियों द्वारा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

कुर्बानियों की स्मृति

हमें इस उत्सव को मनाते समय हमारे लिए दी गई कुर्बानियों को नहीं भूलना चाहिए।यही मौका है जब स्वतंत्रता संग्रामियों के बलिदानों और इतिहास को पुनः याद किया जा सकता है और हमारी स्मृति में उन्हें रखा जा सकता है।इन उत्सवों के आयोजन से हमारी युवा पीड़ी इन बलिदानों और संग्रामों को याद कर देश के प्रति जागरुक और जिम्मेदार बन सकेगी।ये उत्सव हमारी विरासत और इतिहास के लिए आवश्यक हैं।

 

Report By:
Author
Swaraj