Dec 20, 2023
22 दिसंबर 2023 को मगशर मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाएगी। गीता में लिखी बातें श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद हैं। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी उत्पत्ति स्वयं श्रीकृष्ण ने की है। यही कारण है कि हर साल गीता जयंती मनाई जाती है।
इस दिन गीता का पाठ करने वाले का हर कार्य सफल होता है, सुख समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों के घर में श्रीमद्भगवत गीता ग्रंथ है उन्हें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, अन्यथा उनका जीवन खतरों से घिरा रहता है।
गीता पाठ करने के फायदे
पुराणों के अनुसार जिस घर में नियमित रूप से गीता का पाठ होता है, उस घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। गीता में धर्म, कर्म, नीति, सफलता, सुख का साम्राज्य छिपा है। इसके पाठ से जीवन की हर समस्या का समाधान हो सकता है।
गीता का पाठ करने से व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मिलती है। घर में लक्ष्मी का वास होता है।
शत्रु से निपटने के लिए शक्ति गीता का पाठ करने से मानसिक कष्ट और गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है। इसमें लिखी पंक्तियां हकीकत से रूबरू कराती हैं।
गीता जयंती के दिन यदि गीता पाठ के साथ हवन किया जाए तो इससे वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
गीता का नियमित पाठ करने से मृत्यु के बाद राक्षस योनि से मुक्ति मिलती है।
श्रीमद्भगवद्गीता को घर में रखने के नियम
श्रीमद्भगवत गीता को घर में रखने और उसका पाठ करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखने से पूर्ण फल मिलता है। यह बहुत ही पवित्र ग्रंथ है इसलिए इसे किसी साफ जगह पर रखें।
बिना नहाए, गंदे हाथों से या मासिक धर्म के दौरान गीता को न छुएं। यह व्यक्ति को पाप का भागीदार बनाता है और मानसिक-आर्थिक तनाव का कारण बनता है।
श्रीमद्भगवत गीता को जमीन पर रखकर न पढ़ें। इसके लिए पूजा चौकी या लकड़ी से बने स्टैंड का इस्तेमाल करें। साथ ही गीता को लाल वस्त्र में बांधकर रखें।
गीता का पाठ करने के लिए अपने आसन का ही प्रयोग करें। किसी दूसरे का आसन ग्रहण नहीं करना चाहिए, इससे पूजा-पाठ का प्रभाव कम हो जाता है। पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश और श्रीकृष्ण का स्मरण करें।
आप दिन में कभी भी गीता का पाठ कर सकते हैं लेकिन यदि आप कोई अध्याय शुरू करते हैं तो उसे छोड़ें नहीं। पूरा अध्याय पढ़ने के बाद ही उठें.








