Aug 29, 2016
अलीराजपुर। कहते हैं कि यदि ऊपर वाला किसी से कुछ छीनता है तो उसे ऐसा कुछ दे देता है जो उसको इस दुनिया से अलग पहचान दिलाता है। ऐसी ही कुछ खासियत है नैनपुर के अलीराजपुर के दिव्यांग सत्यवान की। दिव्यांग सत्यवान जन्म से ही अन्धे जरूर है लेकिन, इनके सुरों में वो जादू है जो इन्हें एक अलग पहचान दिलाती है। इनके गायकी की सभी तारीफ करते है।
नैनपुर तहसील के अलीराजपुर ग्राम में जन्मे सत्यवान आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है ऊपर वाले ने उन्हे कंठ में वो जादू दिया है कि सत्यवान जहाँ भी सुर छेड़ दे वहाँ शमा ही बंध जाता है। उसकी इस कला के आज इतने दीवाने हैं की सत्यवान को इस बात का बिल्कुल भी मालाल नहीं कि वह इस दुनिया को सिर्फ महसूस करता है देख नहीं पाता। सत्यवान को क्षेत्रीय गायन के साथ ही आल्हा,देवी गीत फ़िल्मी गीत ,गजलें जैसी सभी विधाओं में महारत हासिल है। ताज्जुब की बात ये है की आँखों से न देख पाने वाले सत्यवान को ये सभी कंठस्त याद हैं जिसके चलते उसे गायकी में कभी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। सत्यवान ने बताया कि उसे किसी गुरु से इस प्रकार गायकी की कोई भी शिक्षा नहीं ली है उसे जो भी मिला है वो कुदरत से ही मिला है।
यूं तो सत्यवान दुनिया के रंगों को नहीं देख पाता लेकिन गरीबी में जन्मे इस आवाज की दुनिया के जादूगर को यदि समाज शासन या फिर सरकार के रूप में कोई मसीहा मिल जाए और उसकी मदद कर दे निश्चित ही सत्यवान की दुनिया रंगीन हो सकती है। सत्यवान जन्म के कुछ माह बाद ही वह अपनी माँ के अंचल से भी महरूम हो गया था। शादी के बाद एक बच्ची को जन्म देकर उसकी पत्नी भी उसका साथ छोड़ कर चली गई।