Oct 8, 2023
हिन्दू धर्म में नवरात्री का अत्यधिक महत्तव है। साल में दो बार आने वाला यह पर्व हम सभी के लिए बहुत खास है। वहीं अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्री का पर्व काफी धूम धाम से मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्री की शुरूआत रविवार 15 अक्टूबर 2023 से हो रही है। 24 अक्टूबर को विजया दशमी का त्यौहार मनाया जाएगा। यह पर्व माता रानी की पूजा अराधना के लिए समर्पित होता है। माँ दूर्गा को समर्पित यह पर्व पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्री के त्यौहार की धूम मंदिर से लेकर पूजा पंडाल व घर घर में नज़र आती है। इस दौरान कलश की स्थापना भी का जाती है साथ ही कुछ लोग इस दौरान अखंड जोत भी जलाते है। नवरात्री में केवल सात्विक भोजन का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा लहसुन और प्याज का परहेज रखने की मान्यता है। हांलाकि ऐसी मान्यता क्यों है इसका जवाब कम लोग जानते हैं आइए आज हम आपको विस्तार से इस मान्यता के बारे में क्यों नवरात्री में प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए। हिन्दू धर्म में नवरात्री ही नहीं बल्कि किसी भी व्रत में लहसुन प्याज का सेवन व्रर्जित माना गया है। शुरूआत से लहसुन प्याज को तामसिक प्रकृति का भोज्य पदार्थ माना जाता है ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से अज्ञानता और वासना में बढ़ोतरी होती है। वहीं उसका दूसरा कारण है कि लहसुन और प्याज जमीन के नीचे होते हैं। इनकी सफाई के दौरान कई सूक्ष्म जीवों की मृत्यु हो जाती है। इसलिए भी इन्हें व्रत के दौरान खाना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि शारदीय नवरात्री ठंड के मौसम में आती है ऐसे में इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए सात्विक खाना खाने की सलाह दी जाती है। लहसुनप्याज न खाने से जुडी एक पौरणिक कहानी भी है। आइए आपको बताते हैं। आम दिनों में भी भगवान को लगाए जाने वाले भोग में लहसुन प्याज को डालना व्रजित बताया गया है। इसके पीछे पौरणिक कथा है। जिसके अनुसार समुद्रमंथन में अमृतकलश निकला था जिसे प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छीड गया। इस दौरान भगवान विष्णु ने असुरों और देवताओं में अमृत को समान रूप से बाँटने के लिए मोहिनी रूप धारण किया। लेकिन देवताओं की पंती में राहु केतु ने बैठकर अमृतपान कर लिया जब विष्णु को इस बात का पता चला तो