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सपनों को साकार करने में मददगार है एजुकेशन लोन

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Dec 12, 2022

किसी व्यक्ति की सफल जिंदगी के लिए क्वालिटी एजुकेशन बहुत जरुरी है। कुछ लोगों के लिए यह किसी शीर्ष इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन करना हो सकता है। ऐसे दौर में जब पढ़ाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है, देश-विदेश के इंस्टीट्यूट में पढ़ने का खर्च काफी अधिक है तब एजुकेशन लोन के रूप में आपको ऐसी परिस्थितियों में काफी मदद मिलती है। यह लोन आपकी जरूरत और उपलब्ध रकम के बीच की खाई को भरता है। पढ़ाई का खर्च सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, इस समय अगर पढ़ाई का खर्च 1 लाख रुपए है तो 15 साल बाद उसका खर्च 20 लाख रुपए होगा। इस तरह अगर हम देखें तो अच्छे से अच्छे रिटर्न वाले इन्वेस्टमेंट में भी उतना पैसा नहीं मिला जितना खर्च है, तो एजुकेशन लोन ही विकल्प बचता है।

एजुकेशन लोन लेने के लिए भारत का नागरिक होना जरुरी

लोन के लिए आवेदन करने वाले का भारतीय नागरिक होना जरूरी है। इसके साथ ही भारत या विदेश में किसी वैध संस्था से मान्यता प्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन तय हो चुका हो। आवेदक का बारहवीं की परीक्षा पास कर चुका होना जरूरी है। कुछ बैंक हालांकि एडमिशन तय होने से पहले भी लोन दे देते है। रिजर्व बैंक के मुताबिक एजुकेशन लोन के लिए उम्र की अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन कुछ बैंकों ने सीमा तय कर रखी है। बैंक इसके लिए आवेदक से संस्थान का एडमिशन लेटर, फीस स्ट्रक्चर, 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की मार्कशीट मांग सकते हैं। इसके अलावा को एप्लिकेंट की सेलरी स्लिप या आयकर रिटर्न की कॉपी मांगी जा सकती है।

कोर्स खत्म होने के बाद शुरू होता है रीपेमेंट

लोन को छात्र चुकाता है, आमतौर पर कोर्स खत्म होने के छह महीने बाद रीपेमेंट शुरू हो जाता है। बैंक छह महीने की मोहलत भी देते हैं, यह •मोहलत जॉब पाने के छह महीने भी हो सकती है या कोर्स खत्म होने के बाद एक साल की हो सकती है। लोन को पांच से सात साल में चुकाना होता है। कई बार बैंक इसे आगे बढ़ा सकते हैं। कोर्स की अवधि के दौरान लोन पर ब्याज सामान्य ही होता है और इएमआई के रूप में यह ब्याज चुकाना होता है, जिससे कोर्स पूरा होने के बाद छात्र पर ज्यादा बोझ न पड़े। लोन के लिए आवेदन करते वक्त उसकी प्रोसेसिंग प्रीपेमेंट लेट पेमेंट फीस आदि के बारे में चेक करना चाहिए। अधिकतर बैंक लोन एमाउंट का 0.15 फीसदी प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। आयकर कानून के सेक्शन 80 के तहत लोन के ब्याज के रूप में चुकाई गई रकम पर छूट मिलती है।