Dec 16, 2016
रायगढ़। एक गांव सपनों-सरीखा, अशिक्षा से दूर, सभी खुश हैं। खेतों में हरियाली है। ऐसा लगता है कि यह किसी हिंदी सिनेमा का गांव है, जो पंजाब में हो। पर, नहीं। यह गांव छत्तीसगढ़ में है। हर घर का एक न एक सदस्य सरकारी नौकरी करता है। महिलाएं 97 फीसदी तक शिक्षित हैं तो पुरुष 90 फीसदी तक। यह सब हुआ है एक शिक्षक की बदौलत।
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 17-18 किमी दूर इस गांव का नाम है जतरी। पुसौर ब्लॉक में यह गांव है। जो बुजुर्ग हैं, वे ही अशिक्षित हैं। इस गांव में शिक्षा का अलख जगानेवाले हैं एक शिक्षक। इनका नाम है- पतंग राम सारथि। इन्होंने ही लगभग 30-40 साल पहले यहां के युवाओं को सरकारी सेवा के लिए प्रेरित किया था और सरकारी नौकरियों में जाने को कहा। गांववालों को भी इसके फायदे बताए। आज हालत यह है कि हर परिवार का एक न एक सदस्य सरकारी नौकरी में है। जहां नहीं है, वहां लोग निजी कंपनियों में अच्छे पद पर हैं। जिनको कहीं नौकरी नहीं मिली, वे शहरों में कोचिंग सेंटर चलाते हैं। इस गांव के निवासी लीलाधर सारथी और यशवंत सारथी अभी सिविल जज हैं। शिक्षा विभाग में एचआर चौहान, हेल्थ में पुनीराम चौहान, पशुपालन में बीके तिवारी काम कर रहे हैं।
यहां के निवासी आइएएस भी हैं और जज भी। पुलिस विभाग से लेकर सेना में भी काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि आजादी के बाद इस गांव की सूरत अलग थी। सरपंच उपेश चौहान के मुताबिक कई लड़के सरकारी सेवा में हैं तो कुछ डॉक्टर, जज, इजीनियर और प्रोफेसर भी हैं। सरपंच भी कहते हैं कि हम शिक्षक पतंग राम की शुक्रगुजार हैं। हमारे कई लोग ऐसे भी हैं, जो सरकारी नौकरियों से रिटायर होने के बाद युवाओं को पढ़ाते हैं और उनको सरकारी सेवाओं में सफलता के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इस गांव के मुनकू राम सारथि कलेक्टर भी बने थे। तब राज्य में अजीत जोगी का राज था। उनसे भी युवा काफी प्रेरित हुए और कई ने सफलता भी हासिल की। कहा जाए तो यह गांव पूरी तरह से विकसित हो चुका है। सभी शांति-सुकून से रहते हैं। फिर भी, यह गांव मौलिक सुविधाओँ से दूर है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुछ काम हो रहे हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं है। दूसरी ओर यहां के परिवार अपना पुश्तैनी और परंपरागत पेशा भी नहीं छोड़ते हैं। करना या न करना उनकी मर्जी पर है। खेती से लेकर परंपराएं तक आबाद हैं।