Feb 1, 2023
आज हम आपको एक कदम अद्भुद जीवन की और बेस्ट सेलर मोटिवेशनल बुक के लेखक भागीरथ पुरोहित के कुछ प्रेरणादायक विचारों को लेकर आये हैं| आप उनकी बुक इस लेख के नीचे दी गयी लिंक से प्राप्त कर सकते हैं|
सफलता आपकी है - आपके लिए है, पर सफलता प्राप्त करने के लिए तीन बातें जरूरी है
(2) आपमे सफलता पाने की इच्छा होनी चाहिए,
( २ ) आपको सफलता पाने की विधि मालूम होनी चाहिए;
(३) जन तक सफलता न मिले, आपको उसके लिए निरन्तर प्रयत्न करते रहना चाहिए।
किन्तु सिर्फ चाहना काफी नहीं है | सफलता का मूल्य चुकाने को तत्पर होना होगा ।
एक द्वीप में बैठकर मद्यपान करने वाले दो आदमियों के बारे मनोरंजक कथा है । आधी रात के लगभग वे लड़खड़ाते हुए अपनी छोटी सी नाव की ओर चले, चप्पू थाम लिए और लगे खेने । घटे के अन्दर उन्हे महाद्वीप पर पहुंच जाना चाहिए था, पर जब पौ फटी तो उस समय भी वे उसी द्वीप से सटे हुए थे और अभी तक नाव खे रहे थे। जिस रस्से के साथ नौका द्वीप से बंधी थी, वे उसे खोलना भूल गए थे ।
हममे से बहुत-से लोग इन दो आदमियों के समान है। हम काम करते हैं, करते ही जाते हैं, लेकिन हम कहीं पहुचते नही दीखते । हम नशे मे तो नहीं, पर उदासीन जरूर होते है । आगे बढ़ने के लिए हम बेतहाशा नाव खेते हैं, पर अपने दोपो और कमियों से बांध रखने वाली रस्सी खोलना भूल जाते है । कोई आश्चर्य नहीं, हम कुछ भी प्रगति नहीं कर पाते। हम भविष्य के लिए महत्वाकांक्षाओ वाली कई योजनाएं बनाते है, लेकिन अपने अतीत की जांच-पड़ताल करने से हिचकिचाते है ।
किसी भी बात को करने का एक सकारात्मक ढंग होता है, दूसरा नकारात्मक । जैसे, अब से अधिक धनवान बनने के लिए या तो हमे अपनी आय बढानी होगी अथवा अपना व्यय घटाना होगा । इसी प्रकार उत्पादन बढ़ाने के लिए हमे या तो अपने काम के घण्टे बढ़ाने होंगे, या फिर काम मे पड़ने वाले विघ्नो, ढिलाइयों अथवा व्यर्थ के घूम- फेरों को कम करना होगा। अधिक आनन्दमय होने के लिए हमें अधिक मुस्कुराना होगा अथवा त्योरियां कम करनी होगी।
किसी भी प्रगति के कार्यक्रम में हमेशा यही अच्छा रहता है कि पहले बचत पक्ष की ओर ध्यान दिया जाए। इससे समय और मेहनत की बचत होती है। यदि पीछे से नाव रस्से से बंधी रहे तो , उस पर चढ़ने और अपनी पूरी शक्ति से उसे खेने मे तुक ही क्या है ? भविष्य की ओर नाव खेने से पूर्व हमे यह भली भांति देख लेना चाहिए कि कहीं कोई चीज हमें अतीत से बांधे हुए तो नहीं है। सुख और सफलता के प्रदेश की ओर यात्रा शुरू करने से पहले हमें अपने दुर्गुणों, कमियों और बेकार के पछतावो को तिलांजलि देनी होगी । आपका जहाज सही-सलामत बंदरगाह पर पहुंच जाए, इसके लिए हमें परमात्मा को अपना सहचालक मानकर चलना होगा । आपकी यात्रा शुभ हो !
आगे चलकर हम अपने दोषों को दूर करने का तरीका मालूम करके, जीवन की योजना के बचत पक्ष मे सम्बन्धित सानो और विधियों को खोजेगे । इस समय तो हमें उससे कहीं अधिक जरूरी बात की ओर ध्यान देना है, क्योंकि दूसरा सूचना-स्तम्भ हमारे सम्मुख आ खड़ा है :
अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहिए
यदि आप इस पुस्तक को अपने काम पर जाते समय गाड़ी या बस में पढ़ रहे हों तो एक मिनट रुकिए और अपने आसपास निगाह दौड़ाइए । सहयात्रियो के चेहरों पर आपको किस चीज की झलक मिलती है ? क्या वे प्रसन्न और उल्लसित दीख पड़ते हैं, या वे शान्त और सन्तुष्ट है ? अफसोस ! कोई विरला ही ऐसा मिलेगा। बहुत-से लोगों के चेहरो पर आप बेचैनी और घोर निराशा के चिह्न देखेंगे और कुछेक की आंखों से तो आप उत्साह के साथ जिन्दगी बिताने की चमक ही गायव पाएगे, अथवा वे आखें अपने भ्रम टूटने' की दुखद कथा सुनाती जान पढ़ेंगी। आपके सामने बैठे व्यक्ति के नन में कौन-से भाव और कीन मे विचार दौड लगा रहे है, यदि यह उसकी भी पर या भाल पर अंकित होता तो आपको यह पढ़ने को मिलता :
योजना बनाइए
यदि आपकी कोई अभिलाषा नहीं है, तो आपकी स्थिति ठीक उस माली के समान है, जो विना लेवल वाले बीजों के पैकेट से बीज चुनता है। माली को यदि यही न मालूम हो कि आखिर उसे बोना क्या है, तो वह अपने काम की ठीक तैयारी नहीं कर सकता और न ही इस सम्बन्ध मे कोई समुचित योजना बना सकता है।
आप महत्त्वाकांक्षा हो और कार्य करने का निश्चयं तो फिर आप आकाश से सितारे तक तोड़ ला सकते हैं। न तो आयु, न कोई व्याधि न गरीबी और न दूसरी कोई बाधा ऐसे नर अथवा नारी को सफल होने से रोक मकती है।
यदि आप अपने जीवन को कुछ मूल्य देना चाहते है तो आपकी कोई न कोई निश्चित अभिलाषा अवश्य होनी चाहिए और होना चाहिए अपने लक्ष्य तक पहुंचने का दृढ़ निश्चय ।
मित्रों की संख्या बढ़ाइए
मित्र बनाने के बहुत-से ढंग है । पुस्तकें और पत्रिकाएं देकर अपने पड़ोसियों को, प्रतिदिन कार्यालय में आते और जाते समय उत्साह से अभिवादन करके अपने साथ काम करनेवालों को, तथा अवसर पर मैत्री-भरे प्रोत्साहन अथवा प्रशंसा के उचित शब्द कह- कर अपने साथियों को आप अपना मित्र बना सकते हैं ।
सुख के साथ-साथ सफलता प्राप्त करने का सबसे पक्का रास्ता यह है कि जैसे-जैसे आपका कार्यक्षेत्र विस्तृत होता जाए, वैसे-वैसे आपके मित्रों का दायरा भी बढ़ता चले। यदि आप अपनी सफलता को मिल-वांटकर ग्रहण करना सीख लें तो आपको कभी मित्रों की और मित्रता से मिलनेवाले आनन्द की कमी न रहेगी ।
अनेकों सफल लोगों को यह शिकायत रहती है कि वे अकेले पड़ गए है— लोग-बाग उनसे कतराते है । कई-कई क्लबों में जाने के बावजूद उन्हें संतोष नहीं मिलता। वे नित नये मित्र बनाते है, लेकिन यह मित्रता बहुत थोड़े समय टिक पाती है। ऐसा क्यों ? न्यूटन कहा करते थे कि बहुत से लोगो के अकेले पड़ जाने का कारण यह है कि वे आपसी खाइयों को पाटने के लिए पुल नहीं बनाते, चल्कि और दीवारें खड़ी कर लेते हैं। दूसरे, जिन लोगो के मित्र नहीं हैं वे मित्र बना ही नहीं सकते सो बात नहीं है; असल बात तो यह है कि वे मित्रता को निर्वाह नहीं सकते ।
सुख की कुंजी धन-दौलत नही है; बल्कि उल्टे दौलत तो प्रायः परेशानी का कारण ही बनती है । दुःख के मूल कारण हैं-लोभ, चिन्ता, ईर्ष्या और सन्देह; जबकि सुखी होने का बड़ा गुर है- है— उदारता ।
आज का कार्यक्रम बनाइए
चाहे हम किसी सुन्दरी को वरना चाहते हों, चाहे किसी युद्ध में विजयी होना चाहते हों, हमारी सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि हमने प्रेम अथवा विनाश के अभियान की योजना कितनी अच्छी तरह बनाई है। हमारे जीवन की सफलता हमारी योजनाओं पर निर्भर है । यदि वे पहले से अच्छी तरह तैयार कर ली जाएं और सावधानी से उनकी रूपरेखा बना ली जाए तो उनको अमली जामा पहनाना बिल्कुल सरल हो जाता है ।
विस्तार के साथ योजना तैयार किए बगैर, किसी भवन या किसी पुल के निर्माण की क्या आप कल्पना कर सकते हैं ? ज़िन्दगी तो फिर और भी ज्यादा पेचीदा है। इसपर भी कितने ही लोग बिना किसी योजना या कार्यक्रम के एक दिन से दूसरे दिन की ओर सर- कते चले जाते है ।
लेकिन जैसे मकान बनाने वाले के पास हरेक दिन का निश्चित कार्यक्रम रहता है, उसी तरह हमें भी अपने जीवन के हरेक दिन का कार्यक्रम निर्धारित करना होगा ।
अगले दिन का कार्यक्रम तैयार करने का सबसे अच्छा समय है। रात को सोने से पहले का। इस समय बीते हुए दिन की छोटी-सी जांच से हमें विदित हो जाएगा कि हमने कितनी सफलता पाई है ।
केवल आज की चिंता कीजिए
आज के दिन को अधिक से अधिक कर्मठ और फलदायक बनाने के लिए हमें अपना पूरा ध्यान इसपर एकाग्र कर देना चाहिए । शायद आप जानते होंगे कि टांगे में जुते घोड़े की आंखों पर 'खोप' चढ़ाए जाते हैं, जिससे सड़क पर आ जा रही गाड़ियों की हलचल से वो डरे, बिदके या घबराए नहीं। हमें भी अपनी आंखों पर 'खोप' चढ़ाने होंगे ताकि हम आज के काम पर अपना पूरा ध्यान एकाग्र कर सकें ।
यदि हम ऐसा नही करते तो हमारे प्रत्येक सप्ताह में दो दिन ऐसे आते है जोकि प्राय. हमें परेशान किए रहते है -दो दिन, जिन्हें भय और आशंका से दूर रखने का यत्न करना चाहिए : इन दो दिनों में एक है बीता हुआ कल —- कल, जोकि बीत गया है, और सदा के लिए बीत गया है, अपनी गलतियों और आशकाओं के साथ, अपनी सावधानियों और चेतावनियों के साथ, अपनी परेशानियों और चिंताओं के साथ । 'कल' सदा के लिए बीत गया है और अब हमारी पकड़ के बाहर है ।
अब दूसरे दिन पर विचार करें। अब तक आपने अनुमान लगा लिया होगा । यह आनेवाला कल है । कल जोकि अपने अन्दर अर्थ- पूर्ण सम्भावनाएं लिए हुए है और लिए हुए है आशाए और आश्वा- सन । आनेवाला कल भी हमारी पहुंच से बाहर है, क्योंकि कल सूरज उगेगा और हम उसके साथ जागेंगे। पर उस दिन की उप- लब्धियां, और वह भावना जिससे हम उन्हें पाएंगे - बहुत कुछ हमारी आज की तैयारियों पर आधारित है ।
समय का विभाजन कीजिए
जब से मानव समय को मापने में सफल हुआ है, हरेक व्यक्ति को बस यही शिकायत है, "मेरे पास समय नही है !" यह बिलकुल ठीक है । लेकिन मिलता किसे है ? समय मिलता किसी को नही !
यदि आप कार्यदक्ष व्यक्ति बनना चाहते हैं तो आपको प्रगतिशील नर-नारियो के स्तर तक पहुंचना होगा। जिन्होंने विस्मयजनक सफलता इसीलिए पाई, क्योंकि वे २४ घण्टों के दिन में २६ घण्टों का काम करना जानते थे। फालतू दो घण्टे उन्हें कहां से मिले ?
वे उन्हें मिलते नहीं-उचित योजना बनाकर, समय के बजट का अनुसरण करते हुए और व्यर्थ जाने वाले समय को बचाते हुए वे फालतू समय पैदा कर लेते हैं। महान वैज्ञानिक एडिसन का कथन है, "समय संसार की सबसे अधिक मूल्यवान वस्तु है ।" तो जितनी सावधानी आप पैसा खर्च करते समय रखते हैं, समय बिताने में भी उतनी सावधानी रखने का अभ्यास कीजिए ।
समय-सारणी बनाइए समय पर नियंत्रण रखने का सर्वोत्तम उपाय यही है कि समय-सारणी बनाई जाए। कल प्रातः जागने से लेकर रात सोने तक के सारे समय के हर पन्द्रह मिनटों को विताने का कार्यक्रम एक नोटबुक में लिख लीजिए। इसे काम के तीन साधारण दिनों तक के लिए क्रियान्वित कीजिए । दिन अच्छी तरह बीता हुआ लगे--- ऐसी चेष्टा मत कीजिए। फिर व्यतीत हुए दिन पर एक टिप्पणी लिखिए।
इसके पश्चात अपनी टिप्पणी की जांच कीजिए और बिताए हुए समय की काम में आई अवधि और बेकार गई अवधि के सम्बन्ध में एक संक्षिप्त नोट तैयार कीजिए ; परिणाम अपने मुंह बोलने लगेंगे ।
पल-पल का सदुपयोग कीजिए
सभी सफल व्यक्तियों में एक अद्भुत लक्षण सचमुच समान रूप से पाया जाता है । उनके आचार-विचार से यौवन टपकता है, और उनके हृदय में युवकों-सी उमंग रहती है। इसका कारण यह है कि उन्हें जिन्दगी कभी नीरस नहीं लगती -वे पल-पल का आनन्द उठाते हैं । आपने देखा होगा कि उनके चेहरे किसी अदृश्य भावना से दमकते रहते हैं, जैसे कि आनेवाला हरेक क्षण उनके लिए किसी नये विचार, नये मित्र, नये रुचिकर कार्य और नये व्यवसाय के रूप में तिलस्मी पिटारा खोल देगा । और जब उनके पास अवसर आता है तो फिर वे चूकते नहीं ।
दुनिया को स्तंभित कर देने वाली बहुत-सी ईजादें आविष्कारक की क्षणिक प्रेरणा के स्फुरण का परिणाम हैं; यद्यपि इससे पूर्व वरसों धैर्यपूर्वक श्रम एवं परीक्षण करने पड़े ।
पल-पल के महत्त्व को पहचानिए : बहुत-सी साहित्य की अमर कलाकृतियां अपने अस्तित्व के लिए कुछेक सुप्रयुक्त क्षणों की आभारी हैं जबकि हममें से लाखों व्यक्ति कोई श्रेष्ठ कार्य कर पाने में इसलिए असमर्थ रहते हैं, क्योंकि हम काल के एक क्षण का सम्मान नहीं करते | सफलता को शीघ्र ही अपनी चेरी बनाने के लिए आपको हरेक क्षण का लेखा-जोखा रखने की आदत डालनी होगी ।
बस, एक मिनट !
आपने उस आदमी का किस्सा तो सुना ही होगा जो अपनी पत्नी - को एक पार्टी में ले जा रहा था। उसने शेव की, मुंह-हाथ धोया और बिल्कुल तैयार हो गया। तभी उसकी पत्नी ने दूर से चिल्ला कर कहा कि वह नाक पर पाउडर लगा रही है । वह बोली, "डियर, मैं एक मिनट में आई !"
आखिरकार जब वह अपने कमरे से बाहर निकली तो उसका पति अपने कमरे की ओर लौटने लगा । पत्नी ने बेसब्री से पूछा, " कहां जा रहे हो तुम ?" इसपर पति ने कहा, "मुझे दुवारा शेव करनी होगी ।" इन्तज़ार बहुत लम्बी हो गई थी । खैर, आप इसी वक्त यह प्रतिज्ञा कीजिए : "जब कभी मैं ' बस एक मिनट' कहूंगा, तब मैं उसे पूरी तरह निभाऊंगा ।"
चलो ले चलूं तुम्हे
आओ समुद्र की थाह ले लें
आओ आकाश को लांघ लें
सीमाओं को हाथों में समेट लें
मुश्किलों को मुट्ठियों में बांध लें
सफलता को कदमों में गिरा दें
संबंधों को नई दिशा दें
जानें जीवन का सही अर्थ
प्रचुरता और उन्नति में बने समर्थ
अध्यात्म की गहराई
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खुशियां, प्रचुरता का संयोग
भागीरथ का भगीरथी प्रयास
चंद पन्नों में सिमट आया जीवन का महारास
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"अदभुद जीवन की ओर"
अदभुद और अनूठी किताब
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