Sep 23, 2024
भाषा तो कई प्रकार की होती है और उन सब की अपनी अलग- अलग पहचान और अलग ही खूबसूरती होती है। देश की बात करे तो भारत में हर थोड़ी दूरी पर भाषा में बदलाव आ जाता है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है। ये तो बोली जाने वाली भाषा की बात हुई, लेकिन जो बोल और सुन नहीं सकते उन लोगों की भाषा भी खास होती है। जिसे सांकेतिक भाषा यानी Sign Language कहते हैं। हर साल आज ही के दिन 23 सितंबर को International Day of Sign Languages मनाया जाता है।
क्यों और कितने लोग मनाते हैं International Sign Language Day
यह दुनिया भर में बधिर लोगों को उनके अधिकारों और उनकी सांकेतिक भाषाओं को महत्व देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए UN General Assembly ने 17 दिसंबर 2017 को Sign Language day के रुप में घोषित किया था। जिसके बाद से WFD यानी World Federation for the Deaf ने 2017 में पहली बार इस दिन को International Day of Sign Languages के रुप में मनाने की शुरुआत की थी। हर साल इस दिन को अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है । जो लोगों को एक साथ लाने का प्रयत्न करता है। साथ ही इस वर्ष की थीम sign up for sign language rights है, जिसका मतलब सही सांकेतिक भाषा के लिए साइन अप करना है। WFD के अनुसार दुनिया भर में 69 मिलियन से ज़्यादा बधिर लोग हैं और वे 300 से ज़्यादा अलग अलग सांकेतिक भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं।
क्या है इसका महत्व
· लोगों में सांकेतिक भाषा को लेकर जागरूकता बढ़ाना: सांकेतिक भाषा बधिर लोगों की भाषा है और यह इतनी ही जरूरी है जितनी आम बोल चाल की भाषा।
· यह दिन सांकेतिक भाषा बोलने वालों के प्रति भेदभाव खत्म करता है : लोगों को समझना चाहिए कि सांकेतिक भाषा कोई अलग भाषा नहीं है, बल्कि एक प्राकृतिक और सुंदर भाषा है। जिससे लोग आम भाषाओं की तरह अपने मन के भावों को प्रकट कर सकते हैं ।
· सांकेतिक भाषा बधिर लोगों के लिए ज़्यादा पहुंच सुनिश्चित करता है : यह दिन बधिर लोगों के लिए सुनिश्चित करता है कि बहरे लोग शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और दूसरी सेवाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं।