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बिना गुरू बच्चों को कैसे मिलेगा ज्ञान, 119 स्कूल भगवान भरोसे

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Jul 14, 2017

महासमुंद : छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार शिक्षा गुणवत्ता वर्ष मना रही हैं। बच्चों को बेहतर भविष्य देने का वादा करने वाली सरकार स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता जांचने का दावा भी कर रही हैं। जैसे ही हम शिक्षा में गुणवत्ता की बात करते हैं, वैसे ही सरकारी स्कूलों की दर्ज संख्या और रिजल्ट के चौकाने वाले आंकड़े सामने होते हैं और इन सब के पीछे स्कूलों के शिक्षकों को दोषी मानते हैं। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं। महासमुंद जिले से कुछ ऐसे ही शिक्षा की तस्वीर सामने आई हैं। जहां जिले के 119 सरकारी स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही हैं। तो करीब 8 स्कूल शिक्षक विहिन भी हैं।

स्कूल आ पढ़े बर.. जिंदगी ल गढ़े बर.... इस स्लोगन के जरिये छत्तीसगढ़ की सरकार शिक्षा में उजियारा फैलाने का दावा करती हैं। लेकिन यह दावा सरकार की महज एक नीति और कागजो तक ही नजर आ रही हैं। असल में तो कहीं स्कूलों में शिक्षको की कमी हैं या फिर कहीं शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसी ही तस्वीर महासमुंद से निकलकर सामने आई हैं। जिले में प्राथमिक स्कूलों की आंकड़ों की बात करें, तो करीब 1280 स्कूल पूरे जिले में संचालित हैं। जिसमें 119 स्कूल ऐसे हैं, जहां खाना पूर्ति के नाम पर शिक्षा विभाग ने केवल एक शिक्षक की नियुक्ति की हैं। वहीं जिले के करीब 8 स्कूल तो ऐसे भी हैं जहां एकल शिक्षक की भी व्यवस्था नहीं। अब ऐसी व्यवस्था के बीच आप शिक्षा की गुणवत्ता का आंकलन खुद ही कर सकते हैं। 119 स्कूलों के करीब 4513 बच्चों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ किया जा रहा हैं। ये बच्चें स्कूल तो अपना जीवन संवारने के नाम पर आते हैं, लेकिन इन्हें क्या पता की इनकी नींव आखिर कहां रखी जा रही हैं। स्कूलों में पदस्थ शिक्षक भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारी नहीं जा सकती। क्योंकि आधे समय तो वो स्कूलों के कागजी कार्रवाई और रजिस्टर बनाने में देते हैं और फिर जो समय बचता हैं, उसमें शायद ही वो कुछ पढ़ा पाते हैं। इस स्थिति में शिक्षक कक्षा 4 और 5 को सिलेबल्स के आधार पर पढ़ाने की कोशिश करते हैं। 1 से लेकर 3 तक के बच्चों को महज बेशिक जानकारी ही दे पाते हैं। स्कूल की शाला प्रबंधन समिति भी विभागीय अधिकारियों को इस बात से अवगत करा चूके हैं। लेकिन किसी ने इस बात की सुध लेना उचित नहीं समझा।

जिले के 119 स्कूलों की हालत जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सामने रखा गया, तो यह जानकर भी हैरत हुई की सभी को वस्तु स्थिति पहले से ही पता हैं, लेकिन अधिकारी मामले से बचने अपना पलड़ा छाड़ते हुए शिक्षकों की नियुक्ति को शासन स्तर का हवाला देते नजर आये। महासमुंद जिले के जिन 119 स्कूलों से यह तस्वीर सामने आई है उनमें से कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 5 कक्षाओं में बच्चों की दर्ज संख्या महज 6 से 12 हैं। ऐसे में साफ-साफ यह अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि सरकार के दावों में कितना दम हैं। बच्चों के भविष्य को किस तरह से अंधकार की कोठरी में फेंका जा रहा हैं।