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हैण्ड क्रॉफ्ट करने वाली महिलाओं के हाथ अब होंगें कंप्युटर की-बोर्ड पर

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Jan 17, 2018

कोरबा। बड़े शहरों की तरह ही अब बालको नगर में भी टी-शर्ट व मग फिफायती दरों में प्रिटिंग हो सकेगा। बड़े शहरों में मिलने वाली सुविधा के साथ यह बात इसलिए भी खास है क्योंकि इस कार्य को किसी व्यापारी नहीं बल्कि बस्ती में रहने वाली गरीब महिलाएं संचालित करेंगी। जी हां, बालकों के कम्यूनिटी सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत बालको परसाभांठा क्षेत्र में रहने वाली करीब 30 महिलाओं को बालको कम्प्युटर सेट समेत कीमती मशीन मंगाकर दी है। अब यह महिलाएं जल्द ही इसका ऑपरेट प्रारंभ कर अपनी आमदनी को बढ़ाने का काम करेंगी। हैण्ड काॅफ्ट का कार्य कर रही इन महिलाओं के हाथ जल्द ही कंप्युटर के की-बोर्ड पर थिरकेंगे और यह लोग विभिन्न डिजाईनों के कप व टी-शर्ट प्रिंट करते नज़र आयेंगे। जी हां, जय मां मौली देवी स्व सहायता समूह की इन महिलाओं का संघर्ष करीब 5 साल पहले प्रारंभ हुआ! मुहल्ले में रहने वाली महिलाओं ने आपस में एकजुट होकर कार्य करने की फैसला लिया, जिसमें लगने वाली अंशपूजी के लिए महिलाओं ने 100-100 रूपए प्रतिमाह एकट्ठा करने का ठाना, जमा पैसों से महिलाएं विभिन्न आर्ट एंड काफ्ट, व कई दैनिक उपयोग के सामग्रियों में विभिन्न कलाकृतियों के माध्यम से उन्हे सुंदर तरीके से तैयार करने का कार्य कर उसे बेचने का कार्य प्रारंभ किया। महिलाओं को इस दौरान बालकों के सीएसआर के तहत किए जाने वाले कार्यो के संबंध में जानकारी दी। जिसके तहत उन्होंने अधिकारियों से संपर्क उनके समूह हेतु मदद का आग्रह किया। अधिकारियों ने तत्कालिक तौर पर उन्हें दीपावली में उपहार स्वरूप दिए जाने वाले सामग्रियों का आर्डर दे दिया, महिलाओं ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया व अनोखे व सुंदर कलाकृति तैयार कर बालको को सौंप दिया जिसके बदले कंपनी ने प्रोत्साहन राशि के तौर पर करीब 30 हजार का भुगतान महिलाओं को किया। लेकिन काफी अधिक संख्या में महिलाओं के जुड़े होने के कारण अधिकारियों को यह राशि नाकाफी लगी, बालकों के कंपनी संवाद व सीएसआर प्रमुख आशीष रंजन ने बताया कि महिलाओं की मेहनत देख हमे लगा कि महिलाएं काफी बेहतर कार्य कर रही है लेकिन उनके द्वारा कार्य को लेकर दिए जा रहे समय व मेहनत के बदले उनहे पारश्रमिक नहीं मिल पा रहा है, समूह की कुछ महिलाएं कम्प्युटर का उपयोग भी जानती थी, हमें लगा कम्प्युटर उनके कार्य में तेजी लाते उनकी आजीविका को बढ़ाने में सहयोग दे सकता है, लिहाजा हमने उनकी सहमति से क्षेत्र के तीनों समूहों को एकत्र कर उनहे कम्प्युटर, रंगीन प्रिंटर समेत मग व टी-शर्ट प्रिंटर प्रदान किया। साथ ही इनके लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था भी की। चूंकि आकर्षक उपहार तैयार करने वाली इनकी कला में टी-शर्ट व मग प्रिटिंग एक कलेवर का काम करेगा। रायपुर व बिलासपुर में यह सुविधा आम है लेकिन बतौर उपहार कोरबा में यह नया प्रयोग होगा जिससे इनको यहां अच्छा व्यवसाय मिलने की उम्मीद है। समूह की कोषाध्यक्ष सावित्री पटेल ने बालको के प्रयास की सराहना करते कहा कि कंपनी के अधिकारियां ने सहयोग की बदौलत उनको पूरा विश्वास है कि अब समूह की महिलाएं माह में 4 से 5 हजार रूपए आराम से कमा सकती है। बालकों द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों व प्रशिक्षण के बाद उम्मीद है कि इनके व्यवसाय में बढ़ौतरी होगी। इनकी माने तो यह लोग प्रयास कर रहे है कि कम कीमत में लोगो को आकर्षक उपहार तैयार कर दे सकें जिससे लोगो को बेहतर उपहार की फेर में बाहर का चक्कर न काटना पड़े, साथ ही इससे इनकी आमदनी में इजाफा हो सकेगा।