Loading...
अभी-अभी:

पुण्यतिथि विशेषः सुचित्रा सेन का बॉलीवुड में उल्लेखनीय योगदान

image

Jan 17, 2018

सुचित्रा सेन जिन्होनें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशेष पहचान बनाई और साथ ही बंगला फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान दिया। आइए उनकी पुण्यतिथि पर उनके बारे में कुछ विशेष जाने। सुचित्रा सेन का मूल नाम रोमा दासगुप्ता का जन्म छह अप्रैल 1931 को पवना बंगलादेश में हुआ। उनके पिता करुणोमय दासगुप्ता हेड मास्टर थे। वह अपने माता-पिता की पांच संतानों में तीसरी संतान थी। सुचित्रा सेन ने प्रारंभिक शिक्षा पवना से हासिल की। वर्ष 1947 में उनका विवाह बंगाल के जाने-माने उद्योगपति अदिनाथ सेन के पुत्र दीबानाथ सेन से हुआ। वर्ष 1952 में सुचित्रा सेन बतौर अभिनेत्री बनने के लिये फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और बंगला फिल्म शेष कोथाय में काम किया। फिल्म हालांकि प्रदर्शित नहीं हो सकी। वर्ष 1952 में प्रदर्शित बंगला फिल्म सारे चतुर अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेता उत्तम कुमार के साथ पहली बार काम किया। वर्ष 1957 में अजय कार के निर्देशन में बनी फिल्म हरानो सुर वर्ष 1942 में प्रदर्शित अंग्रेजी फिल्म रैंडम हारवेस्ट की कहानी पर आधारित थी।वर्ष 1955 में सुचित्रा सेन ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी कदम रख दिया। उन्हें शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर बंगला उपन्यास देवदास पर बनी फिल्म में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1959 में प्रदर्शित बंगला फिल्म दीप जोले जाये में सुचित्रा सेन के अभिनय के नये आयाम दर्शकों को देखने को मिले। इसमें सुचित्रा सेन ने राधा नामक नर्स का किरदार निभाया, जो पागल मरीजो का इलाज करते करते खुद ही बीमार हो जाती है। अपनी पीड़ा को सुचित्रा सेन ने आंखों और चेहरे से इस तरह पेश किया, जैसे वह अभिनय न करके वास्तविक जिंदगी जी रही हो। वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म उत्तर फाल्गुनी सुचित्रा सेन की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। इसमें उन्होंने एक वेश्या पन्ना बाई का किरदार निभाया जो अपनी वकील पुत्री सुपर्णा का साफ-सुथरे माहौल में पालन पोषण करने का संकल्प लिया है। इस फिल्म में पन्ना में बाई की मृत्यु का दृश्य सिनेदर्शक आज भी नहीं भूल पाये हैं। वर्ष 1963 में ही सुचित्रा सेन की एक और सुपरहिट फिल्म सात पाके बांधा प्रदर्शित हुई, जिसमें उन्होंने एक ऐसी युवती का किरदार निभाया। जो विवाह के बाद भी अपनी मां के प्रभाव में रहती है। इस कारण उसके वैवाहिक जीवन में दरार आ जाती है। उन्हें मास्को फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था, जब किसी भारतीय अभिनेत्री को विदेश में पुरस्कार मिला था। वर्ष 1972 में सुचित्रा सेन को पदमश्री पुरस्कार दिया गया। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाली सुचित्रा सेन 17 जनवरी 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह गयी।