Aug 25, 2019
मनोज यादव : कोरबा में आदर्श गौठान का संचालन करने के नाम पर नगर निगम केवल औपचारिकता निभा रहा है। गौठान में गिनती के मवेशियों की सेवा की जा रही है जबकि उससे अधिक मवेशी शहर के सड़कों पर घूमते हुए देखे जा रहे है जिनके चारे पानी के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है गोकुल नगर में बनाए गए गौठान में महज 13 मवेशी हैं जिनके बेहतर रखरखाव के दावे निगम के कर्मचारी कर रहे हैं।
योजना को सफल बनाने जिलास्तर पर प्रयास जारी
प्रदेश सरकार की महत्त्वकांक्षी योजना को सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर काफी प्रयास कर रहे हैं। नरवा,गरवा, घुरवा बाड़ी जैसी योजना को लेकर न केवल सरकार बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी काफी गंभीर हैं लेकिन कोरबा का निगम अमला सरकारी योजनाओं पर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। शहर में आदर्श गौठान के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है जिन उद्देश्यों को लेकर गौठान को अस्तित्व में लाया गया है। इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। गोकुल नगर गौठान में गिनती के मवेशी है। जिनके स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रखने के दावे निगम के कर्मचारी कर रहे हैं महज 13 मवेशी गौठान की शोभा बढ़ा रहे है। जबकि सड़कों पर उससे कहीं अधिक मवेशी आवारा घूम रहे हैं।गौठान के मवेशियों को दिन में दो बार चारा पानी के साथ ही नियमित रूप से उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है उनकी पहचान के लिए सिंह ओं को बकायदा रंग दिया गया है लेकिन गौठान से कुछ ही दूरी पर मवेशी कछुओं के बीच भोजन तलाशते हुए दिख रहे हैं ऐसे में किस आधार पर गौठान का संचालन किया जा रहा है यह समझ से परे है।
जिन उद्देश्यों से गौठान का निर्माण हुआ, उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है..
कम मवेशी होने के कारण गौठान में सब कुछ ठीक-ठाक नजर आ रहे हैं। 13 मवेशी होने के कारण उन्हें दाना पानी देने में न तो परेशानी हो रही है और ना ही साफ-सफाई को लेकर कोई समस्या सामने आ रही है वहीं मवेशियों की संख्या दर बढ़ गई तो निगम को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। आवारा मवेशियों को चारे पानी के लिए भटकना न पड़े इसलिए गौठान का निर्माण किया गया है लेकिन गौठान में मौजूद मवेशी और आवारा मवेशियों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो साफ पता चलता है कि जिन उद्देश्यों से गौठान का निर्माण किया गया है उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है।