Jan 6, 2023
छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को छेरछेरा पर्व मनाया जा रहा है। सभी जिलों में इस पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह व उत्साह देखने को मिल रहा है। लड़के, लड़कियों, लड़कियों और महिलाओं की टोलियां घर-घर जाकर चेरचेरा के लिए चंदा मांग रही हैं। इसी क्रम में सीएम भूपेश बघेल ने चेरचेरा व माघी पुन्नी की जनता को बधाई व शुभकामनाएं दी है।
मुख्यमंत्री ने दूधधारी मठ में पूजा अर्चना की
सीएम दूधधारी मठ पहुंचे और भगवान बालाजी का पूजन किया। राज्य के लोगों की सुख, शांति और समृद्धि के लिए। इस बीच लोगों ने मुख्यमंत्री को धान से तौला। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश माथापारा की सड़कों पर चंदा लेने निकले। लोगों ने घरों से निकलकर दान-पुण्य किया और प्रदेश की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
बालाजी की कृपा से इस बार पैदावार अच्छी हुई है: सीएम भूपेश
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सभी तीज-त्योहारों पर अवकाश दे रही है। सभी त्योहार मुख्यमंत्री आवास में मनाए जाते हैं। किसान सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं। हरचेरा में दान की गई राशि जनकल्याण के लिए खर्च की जाती है। अन्नदाता सहित सभी वर्ग अन्नदान करते हैं। दान देना उदारता का प्रतीक है और दान लेना अहंकार के नाश का प्रतीक है। भगवान बालाजी की कृपा से इस बार काफी अच्छी उपज हुई है।उन्होंने कहा कि 85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है, लेकिन एक भी किसान ने शिकायत नहीं की है। सभी का शीघ्र भुगतान कर दिया गया है।
जांजगीर-चांपा जिले में छेरछेरा पर्व मनाया गया
जांजगीर-चांपा जिले में लोक परंपरा के अनुसार हर साल पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पर्व मनाया जाता था। इस दिन बच्चे, युवक-युवतियां टोकरियां, बोरे आदि लेकर घर-घर जाते हैं। वहीं, युवकों की टोली लाठी-डंडों के साथ नाचते हुए घर-घर पहुंच रही है। धान की मिलिंग होने के कारण गांव के हर घर में धान का भंडार है, जिससे लोग मांगने वालों को दान कर देते हैं। उन्हें हर घर से धान, चावल और नकदी मिलती है। यही युवा गांव में घूम-घूम कर जगह-जगह डंडा भी करते हैं और आसपास के गांवों में भी नाचने जाते हैं।
घर के बने व्यंजन
सभी घरों में इस दिन आलू के चप्पे, भजिया और अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके अलावा कई लोग खीर और खिचड़ी का आयोजन करते हैं, जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण कर पुण्य प्राप्त कर रहे हैं। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। जो लोग बच्चों को भोजन का दान करते हैं, वे मृत्यु के सभी बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस दौरान मुर्रा, लाई और तिल के लड्डू समेत कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती हैं।