May 8, 2023
- समिति की संरक्षक कांति नाग ने शीतला मंदिर में युवाओं के सफल यात्रा के लिए की पूजा, सभी को दी शुभकामनाएं
- इंडोनेशिया के लिए रवाना हुए युवा, विधायक नाग ने तिलक लगाकर किया रवाना
अंतागढ़ । विगत वर्ष अप्रैल में आमाकडा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा "झलमलको लया ल्योर घोटूल रच्चा उत्सव" में गोटूल रच्चा समिति के संरक्षक कांति नाग के प्रस्ताव पर स्वीकृति देते हुए समिति के 14 सदस्यों को आदिवासी संस्कृति, परंपरागत कृषि व वनोपज संग्रहण का अध्ययन कराए जाने हेतु इंडोनेशिया भ्रमण की घोषणा पश्चात स्वीकृति प्रदान की गई। भ्रमण हेतु समिति के 1 सदस्य की असहमति के कारण गोटूल रच्चा समिति के 13 सदस्यों के पासपोर्ट तैयार किए गए है ।
गोटूल रच्चा समिति के सदस्यों हेतु विदेश यात्रा का यह पहला अवसर है अत्येव जिला प्रशासन द्वारा समिति के 13 सदस्यों के साथ जिले के 2 अधिकारियों को भी इंडोनेशिया भ्रमण में भेजे जाने की स्वीकृति प्रदान किए है । इनमें अनुविभागीय अधिकारी रा. भानुप्रतापपुर आईएएस प्रतीक जैन और कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांकेर के व्याख्याता वाजिद खान को प्रशासन द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है । गोटूल रच्चा समिति के सभी सदस्यों को आज अंतागढ़ विधायक अनूप नाग और समिति की संरक्षक कांति नाग द्वारा शीतला माता मंदिर अंतागढ़ में पूजा अर्चना कर सभी भ्रमणकर्ता को तिलक लगाकर बस को हरी झंडी दिखाते हुए रायपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना किया । बतादे 8 मई से 18 मई तक 10 दिनों के लिए यह समिति द्वारा इंडोनेशिया में उक्त विषय में अध्ययन किया जाएगा ।
श्रीमती नाग के प्रयासों से घोटूल रच्चा उत्सव का आयोजन स्थानीय संस्कृति, परंपरा, लोकगीतों और लोकनृत्यों को संरक्षित करने के लिये किया गया था। उल्लेखनीय है कि उक्त कार्यक्रम का मूल उद्देश्य आदिवासी युवाओं व युवतियों को अपनी संस्कृति, विरासत से जोड़कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाना है।
गोटुल संस्कृति, मांदरी, रेला, हुल्की, कोलांग जैसे सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजन लगभग आदिवासी समाज से विलुप्त हो रहे हैं, जिसे संरक्षित करने की जानकारी देने के उद्देश्य से कांति नाग द्वारा समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है।झलमलको युवक-युवतियों को दिया हुआ उपनाम है। इसका संबंध उन आदिवासी युवा एवं युवतियों से है, जो विशेष गुण से परिपूर्ण तो होते ही हैं, साथ ही उन्हें अपनी जनजाति, रीति-रिवाज़ों सहित संस्कृति व परंपरा का पूर्णत: ज्ञान होता है।








