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सीबीआई आरोपियों को दे रही क्लीन चिट, जांच में हो रहा गड़बड़झाला

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May 19, 2018

मध्य प्रदेश का बहुचर्चित व्यापमं घोटाला आज भी अबूझ पहेली बना हुआ है जिसे पहले की जांच एजेंसियों ने आरोपी बनाया था। अब एक-एक करके सीबीआई आरोपियों को क्लीन चिट दे रही है। साथ ही कुछ मामलों में क्लोजर रिपोर्ट भी लगा रही है, ग्वालियर में तकरीबन 2 दर्जन से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें सीबीआई की ओर से आरोपियों को राहत दी गई है। जिसको लेकर व्यापमं के व्हिसिल ब्लोअर ने सीबीआई पर सवाल उठाए है उनके मुताबिक यह CBI की जांच में अब बड़ा गड़बड़झाला है, जिसे वह कोर्ट में चुनौती देंगे।

11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट
जनवरी महीने में सीबीआई ने ग्वालियर संभाग के एक दर्जन से ज्यादा मामलों में आरोपी और उनके पिताओं को राहत दी और अब मई में फिर से आरोपियों को सीबीआई ने राहत दी है। सीबीआई ने हाल ही में ग्वालियर की व्यापमं कोर्ट में 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की है, जिसमें से छह आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। जबकि एसआईटी ने इसी मामले में 17 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। लेकिन खास बात यह है की CBI की जांच में कोई ज्यादा अंतर नहीं है, क्योंकि जो एसआईटी की जो जांच स्क्रिप्ट की थी वहीं सीबीआई की है और जिस पर सवाल उठ रहे है।  

17 लोगों के खिलाफ चालान पेश 
व्यापम का कांड के व्हिसिल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी ने इसी मामले में 2010 में एसआईटी से शिकायत की थी। जिस पर मामले दर्ज किए गए थे शुरुआत में 4 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था। फिर उसके बाद 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। एसआईटी ने मामले की जांच कर 17 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया। लेकिन सीबीआई ने धीरे-धीरे आरोपियों को राहत देने लगी। जिससे व्यापमं के व्हिसिल ब्लोअर नाराज हैं, वह दस्तावेजों के साथ कह रहे हैं किसी सीबीआई ने जानबूझकर आरोपियों को राहत देने की कोशिश कर रही है। साथ ही सीबीआई पर बड़े गड़बड़झाले का आरोप लगाया है। 

सीबीआई ने इन्हें दी क्लीन चिट

·  धुआंराम गुर्जर, कैलाश, शोभाराम, अरुण कुमार गौर, राकेश उमराव, ज्ञान सिंह जाट को क्लीन चिट दे दी। इनके खिलाफ सीबीआई को कोई सबूत नहीं मिला। जबकि एसआईटी ने इन्हें आरोपी बनाया था।

· सीबीआई ने अतिरिक्त जांच में नया कुछ नहीं किया। एसआईटी ने जिन्हें आरोपी बनाया था, उन्हें क्लीन चिट दे दी। जबकि सॉल्वर, मिडिल मेन, छात्र का खुलासा एसआईटी ने ही कर दिया था।

· एसआईटी ने आरोपितों को गिरफ्तार कर साल 2010 में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। सीबीआई ने मामले की तीन साल जांच की। जबकि एसआईटी ने 90 दिन में चालान पेश कर दिया था।

· फर्जी तरीके से परीक्षा पास कराने में पिताओं पर पैसे देने का आरोप था और उन्हें एसआईटी ने मामले में आरोपी बनाया था, लेकिन सीबीआई आरोपितों के पिताओं को क्लीन चिट दे रही है।

व्यापमं फर्जीवाड़े मामले में सबसे हैरत करने वाली बात ये है कि एसआईटी ने अपनी जांच में मेडिकल कालेज के आसपास की चाय की दुकान, पान के ठेले वालों में काम करने वालों को गवाह के रूप में पेश किया था। फर्जी तरीके से एडमीशन कराने को लेकर दलाल, छात्र व रैकेटियर के बीच होने वाली बातचीत पान ठेला, चाय की दुकान पर बताई थी। अब इस बीच व्यापमं फर्जीवाड़े में गवाही करा रही है, कोर्ट में गवाह पलट रहे है, तो कभी सीबीआई ही उन्हें क्लीनचिट दे रही है ऐसे में सवाल यही है कि व्यापमं के गुनाहगारों को कब सजा मिल पाएंगी।