Oct 23, 2018
संदेश पारे : हरदा जिले को शत प्रतिशत सिंचित करने के लिए करोड़ो रूपये की लागत से बनाई गई नहरों के घटिया निर्माण की पोल खुली गई है।नहरों के जगह जगह से जर्जर होने की वजह से टेल एरिया के किसानों को पलेवा के लिए पानी मिल पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
हरदा जिले के तवा कमांड की मुख्य नहरों की लाइनिंग का काम हुए एक साल भी पूरा नहीं हुआ है।लेकिन जगह जगह से नहर में दरारें पड़ गई है।निर्माण के दौरान विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और क्वालिटी कंट्रोल की टीम ने भी निर्माण कार्य का जायजा लिया था।बावजूद इसके नहरों की वास्तविक स्थिति हमारे सामने है। हरदा जिले की लेफ्ट ब्रांच केनाल में 34 किलोमीटर लंबी नहरों की लाइनिंग पर करीब 72 करोड़ 55 लाख रुपये एवं हंडिया ब्रांच केनाल पर की 55 किलोमीटर दूर नहरों पर 85 करोड़ 44 लाख रुपए की लागत से पिछले साल ही निर्माण कार्य किया गया है।लेकिन जल्दबाजी में किये गए निर्माण कार्य से नहरों के फूटने टूटने की वजह से किसानों को समय से पानी मिलने में परेशानी आ सकती है।
जब इस मामले को लेकर अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनके द्वारा जहा भी क्रेक या दरारे आई है उसकी मरम्मत कार्य कराने की बात की जा रही है।नहरों की लाइनिंग के दौरान सिचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और क्वालिटी कंट्रोल के अधिकारियों के निरीक्षण पर भी नहरों की जर्जर हालत सवालिया निशान खड़े कर रही है।किसानों की माने तो निर्माण कार्य के दौरान ना तो तय मानकों का कही भी ध्यान नहीं रखा है और ना ही गर्मी होने की वजह से तराइ की गई है।जिसके चलते आने वाले कई सालों के लिए तैयार की गई नहरों ने साल में ही दम तोड़ दिया है।'
जिले के किसानों को रवि सीजन की फसल की बोनी के लिए पलेवा करने के लिए तवा डेम से आज शाम पानी छोड़ा जाना है जो 24 अक्टूबर तक हरदा पहुचने की संभावना है।लेकिन अभी भी विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से अनेको जगह नहरों की मरम्मत ओर साफ सफाई नही हो पाई है। जिसके चलते नहरों का पानी किसानों को मिलने की जगह बर्बाद होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। अधिकारियों की माने तो नहरों में पानी आने के पूर्व साफ सफाई और मरम्मत कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
हरदा जिले में तवा नहर से कुल एक लाख दो हजार एक सौ इक्कीस हैक्टेयर में सिचाई होती है।जिसमें एचबीसी से 52663 हेक्टेयर,एलबीसी व मांचक नहर से 49 हजार चार सौ अट्ठावन हेक्टेयर एरिया की सिचाई होगी। वही इमलीढाना,आमाखाल,एवं जामन्या जलाशय से 2775 हेक्टेयर में सिचाई की जाएगी।








