Jul 25, 2025
विधानसभा में नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक: कांग्रेस का तीखा विरोध
मध्यप्रदेश विधानसभा के आगामी मानसून सत्र (28 जुलाई से) में विधायकों के लिए नया आदेश जारी हुआ है। विधानसभा सचिवालय ने परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। यह पहली बार है जब ऐसा आदेश जारी हुआ। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए तीखा विरोध जताया है। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि सरकार विधायकों के मुंह नहीं सिल सकती। यह आदेश जनता की आवाज दबाने की साजिश है।
नया आदेश: विधायकों पर सख्ती
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने 10 जुलाई को सभी विधायकों को परिपत्र भेजा। इसमें विधानसभा अध्यक्ष के स्थायी आदेश 94(2) का हवाला देते हुए परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक लगाई गई। साथ ही, सुरक्षा के नाम पर प्रवेश पत्र सीमित किए गए। विधायकों को अपने निजी सहायक और वाहन चालक का विवरण देना होगा। दर्शक दीर्घा में दो लोगों को एक घंटे की अनुमति होगी। बिना प्रवेश पत्र के किसी को परिसर में लाने पर भी पाबंदी है।
कांग्रेस का विरोध: जनता की आवाज दबाने की कोशिश
कटारे ने आदेश को अलोकतांत्रिक करार दिया। उन्होंने कहा कि विधायक जनता की आवाज हैं। अगर सरकार भ्रष्टाचार और लूट के सवालों का जवाब नहीं देगी, तो नारेबाजी और प्रदर्शन उनका अधिकार है। कटारे ने कहा, “हम गांधीजी की प्रतिमा के सामने सांकेतिक विरोध करते हैं। सरकार हमें चुप नहीं करा सकती।” उन्होंने परंपरागत व्यवस्था बहाल करने की मांग की।
सदन में उठेगी जनहित की आवाज
कटारे ने कहा कि विधायकों को जनता ने भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए चुना है। सरकार के मौन रहने या झूठे जवाब देने पर विधायक चुप नहीं रहेंगे। वे विधानसभा में जनता के मुद्दों को पूरी ताकत से उठाएंगे।