Dec 22, 2022
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से अस्वीकृत कर दिया गया। कांग्रेस जिसे अविश्वास की आंधी बता रही थी सरकार की दलीलों और तर्कों ने उसे आने से पहले ही निष्क्रिय कर दिया| अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने एक-एक करके सरकार की उपलब्धियों और कांग्रेस सरकार की नाकामियों के सहारे आरोपों को नेस्तनाबूद करने की भरसक कोशिश की| हालांकि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव को अपनी नैतिक जीत बताते नजर आया| कांग्रेस की मानें तो मुख्यमंत्री उसके आरोपों पर बोलने की बजाय इधर-उधर की बात करते रहे| हालांकि संख्या बल ने अविश्वास प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया|
मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल का बहुप्रतीक्षित अविश्वास प्रस्ताव संख्या बल के आगे सरकार के विश्वास के आगे हार गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अविश्वास पर चर्चा का जवाब देते हुए एक-एक कर सरकार की उपलब्धियां और कांग्रेस की नाकामी गिनानी शुरू की| मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की 15 महीने की सरकार को दलालों का अड्डा, भ्रष्टाचार की विष बेल और बेईमानी की पराकाष्ठा बताया। मुख्यमंत्री ने विपक्षी विधायकों को अपनी बात रखने का मौका देते हुए एक-एक कर उनके आरोपों का जवाब भी दिया| अपने लम्बे भाषण में मुख्यमंत्री ने जन कल्याणकारी योजनाओं को गिनाया, भ्रष्टाचार के आरोपों को झूठ की ट्रेनिंग का नतीजा बताया, रोजगार, किसान हितैषी योजनाओं को गिनाया, आदिवासियों के हितों में चल रहे सरकार के कामों का बखान किया।
इधर मुख्यमंत्री बोल रहे थे उधर विपक्षी विधायक भी टोकाटाकी करते हुये काउंटर कर रहे थे| अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री के जवाब के सीधे प्रसारण की अनुमति पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किये। मुख्यमंत्री के जवाब के बीच बीजेपी कार्यालय में सरकारी पैसे से भोजन कराने पर तीखे सवाल किए गए, मुख्यमंत्री ने आरोपों को हवा हवाई बताया तो कांग्रेस विधायक जीतू उखड़ गए। इस बीच अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही स्कूल चलने के आरोप लगाए गए| विपक्षी विधायकों ने आदिवासियों के नाम पर सिर्फ राजनीति करने का आरोप लगाया तो CM ने पैसा क़ानून के फायेदे ग्नाते हुए पोचली सरकार के कारनामो को यद् दिलाने कि फिर कोशिश की| गोपाल भार्गव ने विपक्ष के विधायकों की टोका टोकी के बाद उन्हें बिना नेता की अराजक फौज बताया| सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आपस में बात बात पर टकराते रहे| एक दूसरे को चुनौती देते रहे| मुख्यमंत्री कर्ज माफी पर सवाल उठाते तो विपक्ष कर्ज माफी पर शिवराज की 7000 करोड़ की स्वीकारोक्ति को अपनी जीत बताते नज़र आया| कमलनाथ की सरकार के राज में पैसे लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग पर शिवराज ने विपक्ष को घेरा| तो विपक्ष में मुख्यमंत्री से कई मुद्दों पर तीखे सवाल खड़े किए| आखिर में बहुमत ने अल्पमत के विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया| फिर भी विपक्ष खुश था कम से कम उसे अपनी बात रखने का मौका मिला और इसे वह नैतिक जीत मानते हुए दिखाई दिया|
कहने को तो यह अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी सरकार के खिलाफ था लेकिन सरकार की रणनीति में इसे कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के प्रति अविश्वास में बदल दिया| सरकार ने कांग्रेस के अविश्वास की बंदूक का मुंह उसी की तरफ मोड़ने की कोशिश की| हालांकि विपक्षी विधायक भी सरकार से टकराने में पीछे नहीं हटे| कमलनाथ की गैरमौजूदगी से विपक्षी विधायकों का मनोबल कम होता नजर आया तो एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में भी कांग्रेसी विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव की धार खुद ही कम कर ली| संख्या बल के आगे इस अविश्वास को तो झुकना ही था, लेकिन फिर भी कांग्रेस इसके जरिए और सशक्त उपस्थिति दर्ज करा सकती थी, जो तैयारी की कमी और रणनीति के अभाव के कारण परवान नहीं चढ़ सकी। फिर भी सियासी गलियारों में इसकी गूँज लम्बे समय तक सुनाई देगी|