Aug 25, 2025
मध्य प्रदेश विधायकों की सैलरी में 45% वृद्धि का प्रस्ताव, पेंशन भी बढ़ेगी
मध्य प्रदेश में विधायकों की सैलरी में 45% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव फिर से सुर्खियों में है। इस प्रस्ताव के पास होने पर विधायकों की मासिक सैलरी 1.60 लाख रुपये हो जाएगी, जो पड़ोसी राज्य राजस्थान से अधिक होगी। इसके साथ ही पूर्व विधायकों की पेंशन में भी इजाफा प्रस्तावित है। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को भेजा गया है, जिस पर जल्द निर्णय की उम्मीद है।
प्रस्ताव और समिति की भूमिका
मध्य प्रदेश विधानसभा ने विधायकों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसके अध्यक्ष वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा हैं। इस समिति में बीजेपी और कांग्रेस के एक-एक वरिष्ठ विधायक शामिल होंगे, जिनका चयन जल्द होगा। समिति को इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लेना है। रीवा के गुढ़ से बीजेपी विधायक नागेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली एक अन्य समिति ने वेतन वृद्धि की सिफारिश की थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को सौंपा गया है।
लंबे समय से मांग
मध्य प्रदेश के विधायकों द्वारा लंबे समय से वेतन, भत्तों और विधायक निधि में बढ़ोतरी की मांग की जा रही थी। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा। विधायकों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में विधायकों की सैलरी मध्य प्रदेश से अधिक है। वर्तमान में विधायकों को 30,000 रुपये वेतन, 35,000 रुपये निर्वाचन भत्ता, 10,000 रुपये चिकित्सा भत्ता, 15,000 रुपये अर्दली और निजी सचिव भत्ता, 10,000 रुपये टेलीफोन खर्च और 10,000 रुपये किताबों व पत्रिकाओं के लिए मिलते हैं।
बीजेपी-कांग्रेस में सहमति
इस प्रस्ताव पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायकों की सहमति है। दोनों पार्टियों ने समिति की सिफारिशों पर जल्द निर्णय लेने की मांग की है। यह प्रस्ताव पास होने पर मध्य प्रदेश के विधायकों की सैलरी राजस्थान के 1.42 लाख रुपये से अधिक हो जाएगी। पूर्व विधायकों की पेंशन में भी वृद्धि की सिफारिश की गई है, हालांकि इसका सटीक आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है।
जनता की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस प्रस्ताव पर आम जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया अभी देखने को मिलेगी। विधायकों का तर्क है कि बढ़ती महंगाई और कार्यकर्ताओं के स्वागत-सत्कार में होने वाले खर्च के कारण यह वृद्धि जरूरी है। यह प्रस्ताव मध्य प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है।